नमक, शकर, हरी सब्जी, दही, सूखे मेवा, दूध, तेल आदि सभी वस्तुओं का आचार्यश्री विद्यासागर जी ने आजीवन त्याग किया हुआ है।
उनके आहार में उबली हुई दाल और रोटियां ही रहती हैं तथा 24 धंटे में सिर्फ़ एक बार भोजन तथा जल लेते हैं। खुशकिस्मत है इनके भक्त जिन्हें गुरु के रूप में आचार्य गुरुवार श्री 108 विद्यासागर जी महाराज मिले।
धन्य है ऐसे गुरु और उनकी ऐसी तपस्या।नमोस्तु गुरुवर