jitendra purohit's Album: Wall Photos

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एक कहानी सुनी थी कि किसी राज्य का एक गवैया अपनी पालकी से राजमहल जा रहा था तो रास्ते में किसी मज़दूर ने कहारों से पूछा.

कौन है इसमें....???

फलाना गवैया....

ओह अपनी किस्मत में कहाँ इसका राग सुनना....

तू दे भी क्या सकता है....???

मेरे पास तो यही खुरपा पल्ली है, यही दे सकता हूँ.....

गवैया पालकी के अंदर ये सून रहा था तो वो वहीं पालकी से उतर कर मजदूर को रास्ते पर ही संगीत सुनाने लगा....

पता चलने पर राजा ने आकर पूछा कि मैं इतनी मुहरें सोना चांदी देता हूँ और तुम एक गरीब को सुना रहे हो....
गवैया बोला कि महाराज! आप इतने बड़े खजाने से कुछ मुहरें ही देते हो ये तो अपनी सारी पूंजी दे रहा है....

खैर वो तो एक कहानी थी, पर ये माताजी तो असलियत हैं... कोटि कोटि नमन...