पुनर्नवा .....
प्राचीन समय से ही पुनर्नवा हमारे स्वास्थ्य का रक्षक के साथ लंबी उम्र बढाने वाली महत्वपूर्ण औषधि रही हैं। आज जब चारो ओर कोरोना महामारी से हमसब परेशान है ऐसे वक्त में भी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढाने और शरीर के किडनी सहित अन्य भागों को पुनर्नवा के बल पर चुस्त व नीरोग रख सकते हैं। हमारे आसपास खेत खलिहान, बाडी आँगन खाली मैदान में इस छिछलकर उगने वाली इस औषधि के पौधे आपसभी देखे होगें छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में इसके लाल प्रजाति को खपरा भाजी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
वास्तव में यह एक रसायन की तरह है शरीर को नवजीवन देने में पुनर्नवा महत्वपूर्ण है पातालकोट के आदिवासी जनजाति इसका उपयोग शरीर को युवा बनाये रखने की दवाई बनाने में करते रहे हैं इसके ताजी जड का रस दो चम्मच कुछ माह सेवन से वृद्ध भी अपने आप को युवा महसूस करता है। बस्तर सहित अनेक भागो के आदिवासी क्षेत्रों में मैने इसकी अनेक रोगो में इस्तेमाल को काफी निकट से देखा है।
औषध प्रयोग .....
इसका स्वाद थोड़ा कसैला व खारा है यह वायु, कफ, सूजन, खांसी, बवासीर आदि का नाश करने वाला है कई नामी दवा कंपनी इससे अरबो कमा रही हैं लगातार शोध से चिकित्सा जगत भी इसे किडनी के साथ कैंसर के लिये रामबाण मान लिया है।
पीलिया में इसका पंचाग (जड, पत्ता, फल, फूल बीज व तना)
को काढा या रस बना इसको शहद या मिश्री मिला सेवन से लाभ होता है। यह हेपेटाइटिस ए, बी, सी और ई के वायरस के प्रभाव को नष्ट करने वाली बूटी है। इसके इस्तेमाल से शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है वहीं कोई संक्रमण भी नहीं होता है।
आंखों की बिमारी लालिमा, रतौंधी व मोतियाबिन्द के लिए महत्वपूर्ण है।
गुर्दे के पथरी में इसके 10से20 ग्राम काढा पिना लाभदायक है।
नींद न आने पर इसका 100मिलीलीटर काढा सम्पूर्ण पौधे का पीने से गहरी नींद आ जाती है।
प्रोस्टेट ग्रंथियों के रोग में मूल का चूर्ण लाभकारी है।
त्वचारोग में इसके जड को तेल में औटाकर उस स्थान पर तेल लगाना फायदेमंद है।
इसका उपयोग गुर्दे को साफ व नवजीवन देने के लिए किया जाता है।
यह भूख बढाने व पेट दर्द के लिए महत्वपूर्ण है।
बिच्छुओं के दंश में कंद को और पत्ता को पीसकर लगाने व पिलाने से राहत मिलता है।
गठिया रोग में औषधि प्रयोग किया जाता है।
आस्थमा में इसके विविध प्रयोग है।
उच्च रक्तचाप कौ नियंत्रण के लिए महत्वपूर्ण है।
इसके अलावा प्रमेह प्रदर रोग, भगंदर ,जलोदर, फेफड़े में सूजन में लाभकारी है।
मुखपाक, कुष्ठ रोग, नारू रोग, में लाभकारी है
गैस में भी लाभकारी है
इसके अलावा शरीर को युवा बनाये रखने में लाभकारी है
सावधानी ....
गर्भवती स्त्री को उपयोग नहीं करना चाहिए।
गुर्दे के गंभीर रोगी को पारंगत वैध के निर्देशन व सलाह के बाद ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इसकी निश्चित मात्रा में सेवन करनी चाहिए अन्यथा किसी किसी को दस्त की शिकायत हो सकती हैं।
.....अनुराग मिश्रा