सि. कु. बर्णवाल 's Album: Wall Photos

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*शंख का महत्व*
हिंदू धर्म में शंख (Tooter ) का विशेष महत्व माना गया है। शंख को घर के मंदिर में रखना बेहद ही शुभ होता है। हालांकि शंख को कभी भी खाली नहीं रखा जाता है। पूजा स्थान पर शंख में जल भरकर रखा जाता है। इसके अलावा शंख के इस जल को जहां भी छिड़का जाता है वह स्थान पवित्र हो जाता है साथ ही वहां से नकारात्मक ऊर्जा दूर होकर घर में सकारात्मकता का वास होता है। इसके अलावा बौद्धिक क्षमता का विकास करने के लिए शंख के उस जल को पीने की भी मान्यता होती है।

बहुत से लोग पूजा के बाद शंख बजाते भी हैं क्योंकि, कहा जाता है कि, शंख की ध्वनि मात्र से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और घर में यदि किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा है, कोई जादू टोना हुआ है या कोई भी नकारात्मक शक्ति है तो उसका भय नहीं रहता। इसके अलावा जो कोई भी व्यक्ति नियमित रूप से शंख बजाता है उसके फेफड़े और हृदय के रोग की आशंका बेहद ही कम हो जाती है।

*शंख के प्रकार*
*गणेश शंख:* समुद्र मंथन में कई रत्न की प्राप्ति हुई थी। इन्हीं में से आठवां रत्न एक शंख के रूप में उत्पन्न हुआ था जिसकी आकृति देखने में बिल्कुल भगवान गणेश जैसी दिखती थी। इसी के चलते इस शंख का नाम गणेश शंख रखा गया।

*दक्षिणावर्ती शंख:* घर के लिए शंख के बारे में जानकार अक्सर दक्षिणावर्ती शंख की सलाह देते हैं क्योंकि घर में इस शंख का होना बेहद शुभ माना गया है। हालांकि इस बात का ध्यान रहे कि, दक्षिणावर्ती शंख को हमेशा दाएं हाथ से ही पकड़ा जाना चाहिए। सभी शंखों में दक्षिणावर्ती शंख को देव स्वरूप माना गया है।
*कौरी शंख* कौरी शंख को बेहद ही दुर्लभ शंख माना जाता है। कौरी शंख को कई जगह पर कौड़ी भी कहा जाता है। इसके अलावा प्राचीन समय में इस का प्रयोग गहनों के रूप में किया जाता था।
*कामधेनु शंख:* कामधेनु शंख को बहुत से लोग गोमुखी के नाम से भी जानते हैं। कामधेनु गाय के मुख जैसी आकृति होने की वजह से इस शंख का नाम कामधेनु पड़ा।
*वामवर्ती शंख:* वामावर्ती शंख को हमेशा बाय हाथों से ही बजाया जाता है। जिस भी घर में वामवर्ती शंख होता है या बजाया जाता है।

*भगवान कृष्ण का पाञ्चजन्य शंख:* इसके बारे में बहुत से लोग कहते हैं कि, यह शंख अब मौजूद नहीं है वहीं कई मतों के अनुसार यह शंख आज भी मौजूद है। कहा जाता है इस शंख की ध्वनि कई किलोमीटर दूर तक पहुंचती थी।
*मध्यावृत्ति शंख:* जिस शंख का मुंह बीच में खुला होता है उसे मध्यावृत्ति शंख कहते हैं। सभी शंखों में से दक्षिणावर्ती शंख और मध्यावृत्ति शंख का सबसे ज्यादा महत्व माना गया है। हालाँकि ये दोनों ही शंख बेहद आसानी से नहीं मिलते हैं।
*हीरा शंख:* इसे कई जगह पर पहाड़ी शंख के नाम से भी जाना जाता है। अमूमन तौर पर देखा गया है कि, तांत्रिक लोग मां लक्ष्मी की पूजा करने के लिए हीरा शंख का प्रयोग करते हैं।

*मोती शंख:* हृदय से संबंधित रोगों को दूर करने के लिए मोती शंख बेहद ही उपयोगी माना गया है।

*महालक्ष्मी शंख* महालक्ष्मी शंख को श्री यंत्र भी कहा जाता है। इस शंख के बारे में ऐसी मान्यता है कि, यह शंख साक्षात मां लक्ष्मी का प्रतीक है। महालक्ष्मी शंख की आवाज बेहद सुरीली और सौम्य होती है।

*कैसे करें शंख का प्रयोग?*
यदि आप भी अपने घर में शंख लाना चाहते हैं तो इन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखें। सफेद रंग की शंख लेकर आएं। इसके बाद इस शंख को गंगा जल और दूध से धोकर शुद्ध करें। इसके बाद साफ गुलाबी रंग के वस्त्र में इस शंख को लपेटकर पूजा वाले स्थान पर रख दें। मुमकिन हो तो सुबह और शाम की पूजा के बाद तीन-तीन बार शंख बजाए। ध्यान रहे शंख बजाने के बाद इसे धो कर पुनः उसी स्थान पर रख दें।