#निर्दयी_टोपी_की_दास्तान
एक बार प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह लोकसभा में बड़ा भावुक भाषण दे रहे थे। तो भाजपा पर सांप्रदायिकता का आरोप लगाते हुये उन्होंने अटल जी की ओर एक प्रश्न उछाला कि
- "आप तो हिंदू हैं, पुनर्जन्म में विश्वास करते हैं। देश में इतना नफरत का माहौल बन रहा है अगर आप अगले जन्म में मुसलमान होकर, भारत में पैदा हुए तो क्या करेंगे?"
अटल जी प्रत्युत्पन्न मति से तुरंत उत्तर दिया कि "मुझे क्या करना होगा मैं बस आपकी टोपी उधार ले लूँगा।"
यूँ सुनने में यह उत्तर कुछ मौजूँ प्रतीत नहीं होता लेकिन जिस टोपी की बात वह कर रहे थे उसके बारे में जानें तो सिहरन हो उठेगी।
राजा वीपी सिंह, शेख़ अब्दुल्ला, फ़ारुख़ अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और क़ायदे आज़म मुहम्मद अली जिन्ना जो टोपी पहनते थे वह #कराकुली_कैप कहलाती है। कराकुल पश्चिमोत्तर सीमा प्रान्त और अफ़ग़ानिस्तान में पाई जाने वाली एक भेड़ की नस्ल है ।
सन ८८ में आगरा पोस्टिंग के दौरान मुझे भी कराकुली पहनने का शौक हुआ तो मैं ताजमहल परिसर में स्थित कश्मीर एम्पोरियम में पूछने गया। तब मुझे इस टोपी के निर्माण की पूरी प्रक्रिया पता चली। कराकुली टोपी बहुत ही मुलायम चमड़े की बनी होती है। चमड़ा एकदम नर्म और मुलायम हो इसके लिये एक ऐसी गर्भवती #कराकुली_भेड़ को चुना जाता है जो लगभग एक महीने बाद प्रसव करने वाली हो। फिर उस भेड़ को लटका कर छड़ी से तब तक पीटा जाता है जब तक कि उसको गर्भपात न हो जाये ।
अब उस सद्य: प्रसूत अपरिपक्व भ्रूण जो कि उस समय जीवित अवस्था होता है, तुरंत ही उसकी चमड़ी उतारी जाती है। क्योंकि केवल इसी चमड़े से नर्म और मुलायम, गर्माहट पहुँचाने कराकुली टोपी बन कर तैयार होती है। यह टोपी हमारे यहाँ बाज़ार में बहुत ऊँचे दामों में बिकती थी। हाँ बिकती थी क्योंकि कुछ समय पहले मेनका गाँधी के प्रयासों से भारत में इसकी बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
पशुओं के मातृत्व का सम्मान मनुष्य ने कभी नहीं किया । हाथी और भेड़ में बस आकार का ही तो अंतर है। सनातन धर्म का पुनर्जन्मवाद ऐसे कृत्यों पर हृदय से अंकुश लगाता है क्योंकि इस जन्म का किया हुआ पाप अगले जन्म में भी भुगतना पड़ सकता है। हमारी दया करुणा की भावनाओं पर स्वार्थ की पट्टी बँधी है और बिना निष्ठुर हुए कोई स्वार्थ सिद्ध नहीं होता।