यह मंदिर प्रमाण है कि अतीत में सनातन धर्म का हर वर्ग अपने धर्म के प्रति समर्पित था ।
इस मंदिर को तेल व्यापारियों ने बनवाया था इसलिए मंदिर का नाम तेली का मंदिर है । ९वीं शताब्दी में बने इस मंदिर के अधिकांश हिस्से को इल्तुतमिश ने ध्वस्त करवा दिया था लेकिन जितना हिस्सा बचा है उतना ही काफी है हमारे पूर्वजों के कौशल की गवाही देने के लिए ।
जिहादी आक्रमणकारी जहाँ भी गए वहाँ की सभ्यता केवल दशक भर में ही समाप्त हो गयी केवल भारत ही एक ऐसा देश है जहाँ की सनातन सभ्यता और सनातनी लोग दोनों सीना ताने दुनियाँ को आज भी चुनौती दे रहे है ।