प्रदीप हिन्दू योगी सेवक's Album: Wall Photos

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इंग्लैंड की सरकार ने सावरकर जी के सम्मान में एक धातु पत्रक प्रकाशित किया,

वही भारत में जब २००३ में वर्तमान वाजपेयी सरकार ने संसद के हाल में सावरकर जी की प्रतिमा का अनावरण किया तो तथा कथित धर्मनिरपेक्षता के कोढ़ से पीड़ित छदम सेक्युलर छातियाँ पीटने लगे और नारे लगाने लगे की गंधासुर हम शर्मिंदा है, तेरे कातिल अभी जिन्दा है,

जबकि गाँधी वध के पश्चात जब सावरकर जी को न्यायलय ने सम्मान बरी किया तो जज का वक्तव्य था - सावरकर जी ने अपना जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया, लेकिन ऐसे तुच्छ कार्य में उन्हें घसीटना बहुत ही निंदनीय है, इस बात की जांच की जानी चाहिए की ऐसे महान व्यक्ति का नाम इस कार्य में क्यों घसीटा गया जबकि स्वयं नाथू राम गोडसे ने गाँधी वध में सावरकर जी की संलिप्तता को सिरे से नकार दिया,

धर्मनिरपेक्षता के झूठे आडम्बर में फंसे तथाकथित सेकुलर उस दिन सूर्य के सामान जुगनू से प्रतीत हो रहे थे, जो की सूर्य को अपनी मद्दम रौशनी दिखा कर उसे निचा दिखाने की कोशिश कर रहे है,

वीर सावरकर वास्तव में भारतीय इतिहास के एक सूर्य के सामान है, जिनके सम्मुख अन्य नेताओं का चरित्र जुगनू सामान प्रतीत होता है ।