यह एशिया का सबसे ऊँचा अद्भूत मंदिर ३९ साल में बनकर तैयार हुआ, यहां पत्थर को थपथपाने पर डमरू जैसी ध्वनि आती है।
यह कला का बेजोड़ नमूना है, इस मंदिर की ऊंचाई १११ फुट है । मंदिर दक्षिण-द्रविड़ शैली से बना है। मंदिर को बनने में ही करीब ३९ साल का समय लगा। जटोली मंदिर के पीछे मान्यता है कि पौराणिक समय में भगवान शिव यहां आए और कुछ समय यहां रहे थे। बाद में एक सिद्ध बाबा स्वामी कृष्णानंद परमहंस ने यहां आकर तपस्या की। उनके मार्गदर्शन और दिशा-निर्देश पर ही जटोली शिव मंदिर का निर्माण हुआ।
मंदिर में कला और संस्कृति का अनूठा संगम देखने को मिलता है। -मंदिर की ऊंचाई १११ फुट है और भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार यह मंदिर एशिया के सबसे ऊंचे मंदिरों में शामिल है।