प्रदीप हिन्दू योगी सेवक's Album: Wall Photos

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-----इक्ष्वाकु वंश प्राचीन भारत के शासकों का एक वंश है। इनकी उत्पत्ति सूर्यवंशियों में से हुई थी। ये प्राचीन कोशल देश के राजा थे और इनकी राजधानी अयोध्या थी। रामायण और महाभारत में इन दोनों वंशों के अनेक प्रसिद्ध शासकों का उल्लेख है।
ब्रह्मा जी के १० मानस पुत्रों मे से एक मरीचि हैं।
१- ब्रह्मा जी के पुत्र मरीचि
२- मरीचि के पुत्र कश्यप=====मानवेतर - सभी जातियों , प्राणियों, आदि का जन्म इन्हीं से हुआ -----
३- कश्यप के पुत्र विवस्वान या सूर्य==
४- विवस्वान के पुत्र वैवस्वत मनु - जिनसे सूर्यवंश का आरम्भ हुआ।-----इनके समय में मानव- सृष्टि रचना दोबारा हुई --
५- वैवस्वत के पुत्र नभग
६- नाभाग
७- अम्बरीष- संपूर्ण पृथवी के चक्रवर्ती सम्राट हुये।
८- विरुप
९- पृषदश्व
१०- रथीतर
११- इक्ष्वाकु - ये परम प्रतापी राजा थे, इनसे इस वंश का एक नाम इक्ष्वाकु वंश हुआ। (दूसरी जगह इनके पिता वैवस्वत मनु भी वताये जाते हैं )
१२- कुक्षि
१३- विकुक्षि
१४- पुरन्जय
१५- अनरण्य प्रथम
१६- पृथु-------------------------------
१७- विश्वरन्धि
१८- चंद्र
१९- युवनाश्व
२०- वृहदश्व
२१- धुन्धमार
२२- दृढाश्व
२३- हर्यश्व
२४- निकुम्भ
२५- वर्हणाश्व
२६- कृशाष्व
२७- सेनजित
२८- युवनाश्व द्वितीय
यहाँ से त्रेतायुग आरम्भ होता है। ======================================
२९- मान्धाता
३०- पुरुकुत्स
३१- त्रसदस्यु
३२- अनरण्य
३३- हर्यश्व
३४- अरुण
३५- निबंधन
३६- सत्यवृत (त्रिशंकु)
३७- सत्यवादी हरिस्चंद्र ****************
३८- रोहिताश
३९- चम्प
४०- वसुदेव
४१- विजय
४२- भसक
४३- वृक
४४- बाहुक
४५- सगर
४६- अमंजस
४८- अंशुमान
४८- दिलीप प्रथम
४९- भगीरथ - जो गंगा को धरती पर लाये।
५०- श्रुत
५१- नाभ
५२- सिन्धुदीप
५३- अयुतायुष
५४- ऋतुपर्ण
५५- सर्वकाम
५६- सुदास
५७- सौदास
५८-अश्मक
५९- मूलक
६०- सतरथ
६१- एडविड
६२- विश्वसह
६३- खटवाँग
६४- दिलीप (दीर्घवाहु)
६५- रघु - ये सूर्यवंश के सवसे प्रतापी राजा हे।***********
६६- अज
६७- दशरथ ******************************
६८- राम (लक्ष्मण, भरत, शत्रुघन)*******************
६९-कुश
यहाँ से द्वापर युग शुरु होता है।====================================
७०- अतिथि
७१- निषध
७२- नल
७३- नभ
७४- पुण्डरीक
७५- क्षेमधन्मा
७६- देवानीक
७७- अनीह
७८- परियात्र
७९- बल
८०- उक्थ
८१- वज्रनाभ
८२- खगण
८३- व्युतिताष्व
८४- विश्वसह
८५- हिरण्याभ
८६- पुष्य
८७- ध्रुवसंधि
८८- सुदर्शन
८९- अग्निवर्ण
९०- शीघ्र
९१- मरु
९२- प्रश्रुत
९३- सुसंधि
९४- अमर्ष
९५- महस्वान
९६- विश्वबाहु
९७- प्रसेनजित
९८- तक्षक
९९- वृहद्वल
१००- वृहत्रछत्र
यहाँ से कलियुग आरम्भ होता है।
इन्हें भी देखें, इकक्षावाकु वंश में ही, मौर्य राजवंश,और शाक्य राजवंश मौर्य क्षत्रिय चक्रवर्ती सम्राट अशोका महान् और महानतम बौद्ध धर्म के प्रवर्तक भगवान बुद्ध देव का जन्म हुआ था।।