पत्थरों पर लिखा हमारा इतिहास..किताबों में लिखे वामपंथी इतिहासकारों की झूठी कहानियों से ज्यादा प्रभावशाली है ।
तलवार की नोक पर किसी सभ्यता का धर्म परिवर्तन तो कराया जा सकता है लेकिन सभ्यता के विरासतों का नहीं ..विरासतों के बिखरते खंडहरों का आखिरी ईंट भी सच बोलता रहेगा ..और सच यहीं है कि कभी सारी दुनियाँ पर सनातन धर्म का एकछत्र राज हुआ करता था ।