प्रदीप हिन्दू योगी सेवक's Album: Wall Photos

Photo 281 of 3,082 in Wall Photos

#Mughal_Architecture का सच..!!

आपने पिछले ७ दशकों में एक बात नोट की होगी कि देश की सभी राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय मैगजीन और किताबों में सिर्फ़ एक ही वाक्य/कथन का सबसे ज्यादा बार प्रचार और प्रसार किया गया और वो था "Mughal Architecture".
जबकि भारतीय वास्तु और शिल्प कला को न तो देश के लोगों तक पहुंचाया गया ना ही इसका प्रचार किया गया।
भारत में वास्तु और शिल्प कला के ये कुछ भवन और मंदिर तो इस्लाम और ईसाइयत के पैदा होने से पहले के बने हुए है जब दोनों संप्रदायों का कोई ज़िक्र ही भी था उस समय भारत की शिल्पकला बेहद उच्चस्तरीय थी।
लेकिन इन सबके बावजूद पिछले तीस सालों में देश विदेशों में लोगों को सिर्फ़ एक ही शब्दावली Mughal Architecture रटाई गई।
इसका सबसे बड़ा उदाहरण ये है कि भारत के नागरिकों से,छात्रों से और बुद्धिजीवियों से अगर आज भी भारतीय शिल्प और वास्तु कला के बारे में पूछा जाए तो वे घुमा फिरा के ताजमहल, लाल किला, मैसूर का किला और मुगलई इमामबाड़ों का ही ज़िक्र करेंगे।
लेकिन भारतीय आर्किटेक्चर का कोई ज़िक्र नहीं करेगा।
फिल्मों, TV Serials में भी सिर्फ़ ऊपर दी गई इमारतों का ही जिक्र किया जाता है... परन्तु शायद ही आपने किसी मंदिर या भारतीय वास्तुकला का गुणगान सुना होगा।

लेकिन क्या आप जानते है... Mughal Architecture जैसा कुछ नहीं होता...ये वामपंथी हिस्टोरियन का सबसे बड़ा फर्जी शब्द है।
इसको एक मीठे झूठ की तरह प्रकाशित और प्रचारित किया गया है।वास्तव में कथित mughal Architecture भारतीय राजमिस्त्रियों की शिल्प का नतीजा है, इनमे से अधिकांश इमारते पुराने Hindu Architecture में परिवर्तन कर मुगलों द्वारा अपने नाम से प्रसिद्ध कर दी गई। ताजमहल(तेजोमहालय),लालकिला,कुतुबमीनार आदि सभी का एक ही इतिहास है।
अगर मुगल आर्किटेक्चर होता तो... सारे महल, मक़बरे, पत्थरों की नक्काशी, उच्च वास्तु कला से सुशोभित ३००-५०० साल पुराने भवन अरब और इस्लामिक देशों के होते।
लेकिन वहां आपको रेत के टीलों के अलावा घंटा नहीं मिलेगा और सऊदी अरब में जो भी निर्माण हुऐ है वो हाल ही में पिछले २०-२५ सालों में हुआ है।
संलग्न फोटो-
#चेन्नाकेशव_मंदिर, बेलूरु , हासन, कर्नाटक

#Beauty_of_Hinduism