भारतीय पुरातत्व विभाग मुगलों की विरासतों का महिमाण्डन तो करता है लेकिन हमारे किलों को लेकर फैले अंधविश्वासों के प्रचार में सहयोग भी करता है ।
एक जीता जागता शहर जो ४ स्तर पर बना हुआ था, सबसे बाहर सैनिकों के घर फिर बाजार, उसके बाद साहूकारों की हवेलियाँ तब राजा का महल। लोग बोलते हैं कि एक वैरागी राजकन्या पर मोहित हो गया था पर राजा के इंकार कर देने पर उसने शाप दे दिया और यहाँ सब कुछ उजड़ गया !
पर वैज्ञानिक आधार पर उस शहर में कोरोना टाइप जरूर ऐसी कोई इंडेमिक बीमारी फैली जिसके कारण सबकी मृत्यु हो गई होगी। कुछ समय बाद उनके जो रिश्तेदार वहाँ गए होंगे वो भी इन्फेक्टेड हो गए होंगे तभी से ये बोल दिया गया होगा वहाँ पर जो रुक जाएगा उसकी मौत हो जाएगी।
जब कोई घटना कई पीढ़ियों के बाद सुनाई जाई है तो उसमें असल घटना के साथ-साथ कुछ हाइपरबोल ऐड कर ही दिया जाता है । जैसे हमारे गांवों में कोई ना कोई एक ऐसा इंसान होता है जो कभी ना कभी भूतों से बात किया होता है या फिर पेड़ो को चलते देखा होगा, सोचिये छोटे स्तर पर ऐसी भ्रांतियों फैली हैं फिर तो भानगढ़ का इतिहास तो सदियों का है ।
अंधविश्वासों में पड़कर अपनी विरासतों से डरकर दूर भागने की बजाय सरकारी मानकों का पालन करते हुए सम्पूर्ण किले के भ्रमण के लिए अपने परिवारों के साथ जाइये ताकि वास्तविक इतिहास से रूबरू हो सकें ।