प्रदीप हिन्दू योगी सेवक's Album: Wall Photos

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गुजरात की रानी नायका देवी .......

रानी नायका देवी सोलंकी की तलवार की वार ने मुहम्मद गोरी को नपुंसक बना दिया था।

एक वीरांगना जिसने युद्ध में मुहम्मद गोरी की गुदा फाड़ कर रख दिया था अपनी तलवार की एक ही वार से ।

ऐसे वीरांगना को मुस्लिम तुष्टिकरण करनेवालों ने मिटा दिया भारत के इतिहास के पन्नो से ।

मैकोले की शिक्षा पद्धति और वामपंथ रोग से ग्रसित इतिहासकार आपको यह सब इतिहास की कक्षा में कभी नहीं बताएँगे वे इस वीरांगना का उल्लेख कभी नहीं करते हैं,
ज़्यादातर लोगों को पता होगा मुहम्मद गोरी को दो चीज़ की नशा थी एक खून की दूसरा हवस की गोरी एक हवसी दरिन्दा था उनकी हवस की लत ने उसे नपुंसक बना दिया था,
मुहम्मद गोरी ने गुजरात की रानी नायका देवी की खूबसूरती के बारे में काफी कुछ सुन रखा था । रानी नायका देवी अपने नवजात शिशु भीमदेव सोलंकी को साथ लेकर गुजरात का राज चलाती थी। गुजरात राज्य के धन समृद्धि से परिपूर्ण एक वैभवशाली राज्य था। इतना सब सुनने के बाद नरपिशाच मुहम्मद गोरी खुद को रोक नहीं पाया और ६५००० से ७३००० की बड़े पैमाने में जिहादी लूटेरो की सेना के साथ अन्हील्वारा गुजरात की राजधानी की और निकल पड़ा ।

रानी नायका देवी को ज्ञात था की उनका मुकाबला किस दरिन्दे से होनेवाला हैं रानी नायका देवी ने रणनीति के तहत अपनी सेनाओ को तैयार किया ।

महारानी को गोरी ने सन्देश भेजा –“ रानी और उसके बच्चे को मुझे सौंप दो और तुम सभी अपनी अपनी महिलाओं एवं कन्याओं के साथ अपनी धन दौलत सब मुझे दे दो तो मैं तुम्हे बख्श दूंगा”

रानी घबरायी नहीं वह इसे सुन कर हंसी उसने अपने नवजात शिशु भीमदेव को अपने साथ बांध लिया और घोड़े पर सवार होकर निकल पड़ी । गोरी के दूत को महारानी ने आदेश दिया बोली “जाओ जाकर गोरी से कह दो उनकी शर्तें मान लिया हैं हमने । ”
गोरी का दूत गोरी के पास आकर जैसे ही खुशखबरी सुनाता है की उनकी सारी शर्ते मान ली गयी हैं गोरी ख़ुशी से पागल हो गया वह आसान जीत की जश्न मानाने लगा ।

नरपिशाच गोरी ने अपने शिविर से बहार निकलकर सोलंकी के सैन्य शिविर की और देखने लगा तभी उसे नज़र आया कोई घोड़े पर सवार होकर उसके सैन्य शिविर की और आ रहा है। धुल उड़ना जैसे ही बंद हुआ और घुड़सवार हुए इंसान जैसे जैसे नज़दीक आते गए वह देखा की एक खुबसूरत महिला अपने बच्चे को अपने साथ बांधकर उसकी और आ रही हैं । अचानक से रानी नायका देवी की घोड़े की कदम रुक गई मुहम्मद गोरी असमंजस में रह गया अचानक रानी की घोड़े की कदम रुकते देख इससे पहले की वह कुछ समझ पाता उसने देखा उसके शिविरों की और हाथी एवं घोड़े के साथ रानी नायका देवी की सेनाओं का सैलाब आ रहा हैं रानी की सैन्य का सैलाब रेगिस्तानी इलाके को घेर लिया था इससे पहले की गोरी वासना के स्वप्न से बहार निकलकर युद्ध के लिए तैयार होता तीन तरफ़ से वह और उसकी शिविर को घेर लिया गया था । मुहम्मद गोरी ने कहा “हिन्दू कैसे इतना तेजी से हमला कर सकता हैं । गोरी के पास अब कुछ समझने का वक़्त नहीं था वह घोड़े पे चढ़कर अपने शिविर के अन्दर आया । गुजरात के वीर राजपूतो ने एक के बाद एक जिहादी सुवरो को काटते रहे रानी नायका देवी के सेनापति ने मुगलो को बताया की क्यों भारतवर्ष को शेरो की धरती कहा जाता हैं। गोरी के पास केवल एक रास्ता बचा था अपनी जान बचाकर भागने का ।

रानी नायका देवी के दोनों हाथो में तलवार थी साक्षात् दुर्गा बन अवतारित हुयी रानी नायका देवी जी ने एक के बाद एक अनगिनत जिहादी आक्रमणकारियों की सर धर से अलग करती गई जो हाथ उसकी और बढ़ रहा था वह सारे हाथ एक के बाद एक काटते गये अब गोरी की और बढ़ी जिहादी गोरी का दमन करने के लिये । गोरी रानी नायका देवी एक झलक पाने के ही डर के भागने लगा । रानी नायका देवी उसके लिए साक्षात् मृत्यु की स्वरुप बन गई थी वह तेज़ी से घोड़े की पीठ में आगे की ओर झुक कर भागने लगा रानी ने एक तलवार फेंककर पीठ दिखा कर भागते हुए गोरी पर हमला किया
रानी नायका देवी की तलवार का वार घोड़े की पीठ पर झुके गोरी की पीठ पर पडा, इस वार से गोरी की जान तो बच गई परन्तु तलवार की वार गुदा को चितरे हुए आगे तक निकल गई जिससे उसका पीछे का हिस्सा हड्डी के साथ बाहर निकल गया था इससे पहले की रानी नायका देवी दूसरा हमला करती, गोरी के ५०० जिहादीयों ने रानी नायका देवी को घेर लिया और गोरी बच कर भाग निकला ।
गोरी महारानी का रौद्र रूप देख इतना डर गया कि घाव से खून बहने के बाद भी वह घोड़े से नहीं उतरा वह मुल्तान लौट कर घोड़े से उतरा । गोरी ने अपने सैनिको को हुकुम दिया कि उसका घोड़ा किसी हाल पे नहीं रुकना चाहिए उसे नींद आजाये या कितनी भी इलाज की ज़रूरत पड़ जाए पर घोड़ा मुल्तान गंतव्य पहुँच के ही रुकना चाहिए । जब गोरी मुल्तान पहुंचा तो वह पूरी तरह से खून से लतपथ था उसे पता चला की वह अपने आगे का (गुप्तांग) और पीछे गुदा हमेशा के लिए खो चूका था वह हमेसा के लिए नपुंसक बन गया था वह रानी नायका देवी की तलवार की एक ही वार से ।

अगले तेरह वर्षो तक भारतवर्ष पर गोरी ने आक्रमण नहीं कर सका था।
रानी नायका देवी जैसी वीरता की मूर्ति यह साबित करती हैं की भारत में स्थायी रूप से इस्लामिक शासन कोई नहीं स्थापित कर पाया था ऐतिहासिक नक्शे कासिम से लेकर औरंगजेब तक के शाशन काल तक का सब धोखा हैं अप्रमाणित हैं । वामपंथी इतिहासकारों ने १९५७ से इतिहास लिखना शुरू किया था इन मार्क्स के इन लाल बंदरो ने जहा जहा मुस्लिम बहुल इलाके का नक्षा मिला १९३९ से लेकर १९५० तक का उसीको औरंगजेब एवं मुग़ल , अफ़ग़ान , तुर्क इत्यादि लूटेरो की राजधानी बना दिया और उनके द्वारा शासित किये गए राज्य बना दिए) ।
आक्रमणकारियों को रोका जाता था कही ना कही जैसे छत्रपति शिवाजी महाराज जी ने मुग़ल के क्रूर शासक औरंगजेब की कब्र महाराष्ट्र में ही खुदवा दिया पर उसके सम्पूर्ण दक्कन पे राज करने का ख्वाब पूरा नहीं हो पाया कभी ।

वामपंथ इतिहासकार ने इतिहास में मुगलों को भारत विजय का ताज पहना दिया, हकीकत में हिन्दू राजाओ एवं दुर्गा स्वरुप रानी से पराजय होकर जिहादी लूटेरो को वापस अरब के रेगिस्तान में लौटना पड़ा ।
© ऋषि कण्डवाल
©आरडी. अमरुते जी