यहां तक कि तथाकथित सर्वश्रेष्ठ इंजीनियरों को भी यह ज्ञात नहीं है कि प्राकृतिक आपदाओं से इमारतों को कैसे बचना है ..
लेकिन हमारे पूर्वजों के द्वारा निर्मित मंदिर हजारों युद्धों और सैकड़ो भूकंपो को झेलकर भी आज अपना अस्तित्व बनाये हुए हैं । इस मंदिर का निर्माण ८ वीं शताब्दी में विक्रमादित्य द्वितीय की पत्नी ने करवाया था । कुछ क्षतियों को छोड़कर आज भी यह मंदिर अपने पूर्ण वैभव में है ।