*पौराणिक पंडित* --- सत्यार्थ प्रकाश कभी मत पढ़ना भाई ! नहीं तो पाप लगेगा, मुल्ले बन जाओगे,अवतारों से देवी देवताओं से विश्वास उठ जाएगा और नास्तिक बन जाओगे।
*पादरी*--- सत्यार्थ प्रकाश मत पढ़ना। दिमाग उलट जाएगा। पढ़ने की वस्तु नहीं वह। फिर यीशु परमेश्वर गलत लगने लगेगा।
*मौलवी* --- सत्यार्थ प्रकाश मत पढ़ना। सुना है जो पढ़ता है वह काफिर बन जाता है। कुरान में गलतियाँ नजर आने लगती हैं।आर्य समाजी लोग सबसे बड़े काफ़िर है हमारे अल्लाह के लिए मत पढ़ना। हम जो कहते है बस वही पढ़ो।
*वाममार्गी*- जिसमें वामपंथी, महावीर,बुद्ध, अम्बेडकरवादी, ओशोवादी,रामपपालिये आदि आते हैं का भी यही कहना है कि सत्यार्थप्रकाश मत पढो क्यों कि इसे पढ कर तुम वेदों को ईश्वरीरय मानने लग जाओगे और यज्ञादि कर्मकाण्डों में उलझ कर अपने जीवन का कीमती समय व कीमती घी को बर्बाद करने लगोगे ।
*वैदिक धर्मी आर्य-* भाई ! तन्त्र,पुराण,कुरान,
बाइबल,सत्यार्थप्रकाश, उपनिषद सब पढ कर देख लो जो बुद्धि के अनुकूल हो तर्क संगत लगे उसे मान लेना। कोई जबरदस्ती नहीं। हमें बुद्धि मिली है, सोचने, विचारने के लिए। आँख मूंद कर बात मानने के लिए नहीं। भाई ! वास्तिवकता तो यह है कि
सत्यार्थप्रकाश में एक ओर वेदों उपनिषदों, दर्शनों का सरल भाषा में सार है तो दूसरी ओर तन्त्र पुरान कुरान बाईबल व जैन बौद्ध आदि अनार्ष ग्रन्थों की पोल खोली गई है जिस कारण ये सब लोग घबराते हैं, सत्यार्थप्रकाश को कचरा बताते हैं, उसे पढने को मना करते हैं और यज्ञ जैसी उपयोगी व वैज्ञानिक प्रक्रिया को तो ये लोग जानना ही नहीं चाहते ।