राम मंदिर आंदोलन में नाथ संप्रदाय की रही महत्वपूर्ण भूमिका, ये है ८६ साल के संघर्ष की कहानी:-
गोरखुपर (Gorakhpur) से जुड़े नाथ संप्रदाय ने राम मंदिर आंदोलन में बढ़-चढ़कर भूमिका निभाई थी। गोरक्षपीठ (Gorakhshpeeth) के ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ जी ने १९३४ से १९४९ तक लंबी लड़ाई लड़ी थी।
अयोध्या/गोरखपुर. अयोध्या में ५ अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) राम मंदिर (Ram Temple) निर्माण की आधारशिला रखेंगे और भूमि पूजन करेंगे। ऐसे में अब इस बात की भी चर्चा हो रही है कि राम मंदिर आंदोलन भूमि पूजन तक कैसे पहुंचा? किन-किन लोगों ने राम मंदिर आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, तो इसमें से एक महत्वपूर्ण नाम उभर कर आता है। नाथ संप्रदाय का गोरखपुर से जुड़ा नाथ संप्रदाय ने राम मंदिर आंदोलन में बढ़-चढ़कर भूमिका निभाई थी।
गोरक्षपीठ के ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ जी ने साल १९३४ से १९४९ तक लंबी लड़ाई लड़ी। वर्ष १९४९ में विवादित जगह में जब रामलला प्रकट हुए तो मालूम पड़ा कि बाबा अभिराम दास के साथ महंत दिग्विजय नाथ जी ने रामलला की मूर्ति को वहां तक पहुंचाया था। हालांकि, संत समाज कहता है कि रामलला की मूर्ति वहाँ खुद ही प्रकट हुई थी, जिसके बाद वहां पूजा-अर्चना शुरू हो गया। महंत दिग्विजय नाथ जी के ब्रह्मलीन होने के बाद महंत अवैद्यनाथ जी ने राम मंदिर आंदोलन की कमान संभाली और फिर राम जन्मभूमि मुक्त यज्ञ समिति बनाई गई। इसकी पहली यात्रा महंत अवैद्यनाथ की अगुवाई में बिहार के सीतामढ़ी से अयोध्या तक निकाली गई।
महंत अवैद्यनाथ जी ने किया १९८४ में राम जन्मभूमि न्यास का गठन
महंत अवैद्यनाथ जी के अगुवाई में ही १९८४ में राम जन्मभूमि न्यास का गठन हुआ था। महंत अवैद्यनाथ जी न्यास के पहले अध्यक्ष चुने गए। महंत अवैद्यनाथ जी के ब्रह्मलीन होने के बाद आंदोलन की कमान अयोध्या के दिगंबर अखाड़ा के महंत रामचंद्र परमहंस दास जी के पास चली गई। लेकिन, नाथ संप्रदाय के महंत अवैद्यनाथ जी के ब्रह्मलीन होने के बाद इसकी कमान संभाली वर्तमान में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने।
योगी आदित्यनाथ जी अब अयोध्या का कायाकल्प कर रहे है।
योगी आदित्यनाथ जी ने लड़ाई लड़ते हुए इसे अंजाम तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अब मुख्यमंत्री रहते हुए अयोध्या के कायाकल्प का भी बीड़ा उठाया है। ऐसे में राम मंदिर आंदोलन में नाथ संप्रदाय की भूमिका को महत्वपूर्ण नजरिए से देखा गया है। अयोध्या के संत-महंत व वरिष्ठ पत्रकार कमल कांत सुंदरम बताते हैं कि राम मंदिर आंदोलन में नाथ संप्रदाय महत्वपूर्ण भूमिका रही है।