पुराणों में कहा गया है कि प्रभू श्री राम जी, शिव जी को अपना भगवान मानकर पूजते थे। कहते हैं कि राक्षस राज लंकापति रावण का वध करने के बाद प्रभू रामचंद्र जी ने तुंगनाथ से डेढ़ किलोमीटर दूर चंद्रशिला पर आकर ध्यान किया था। प्रभू रामचंद्र ने यहां कुछ वक्त बिताया था।
एक पौराणिक कथा कहती है कि चंद्रमा-भगवान चंद्र ने तपस्या में यहां समय बिताया था। चंद्रशिला की सुंदरता अतुल्य है। यह एक प्रभावशाली यात्रा है। बिंदु जो शक्तिशाली हिमालय के ३६० डिग्री मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है।
चंद्रशिला तुंगनाथ का शिखर है। इसका शाब्दिक अर्थ है "मून रॉक"। यह चोटी हिमालय का एक शानदार दृश्य प्रदान करती है, विशेष रूप से नंदादेवी, त्रिशूल, केदारपेक, बन्दरपंच और चौखम्बा चोटियाँ। इस जगह के साथ विभिन्न किंवदंतियां जुड़ी हुई हैं।