परीक्षाओं में प्रश्न-पत्र ने मुझे इतना नहीं उलझाया, जितना मैं तब उलझा जब बचपन में पड़ोस वाली आंटी ने मेरे सामने ये मिठाई की प्लेट रखी और कहा-"बेटे इसमें से कोई भी एक ले लो" ......... इस प्लेट ने प्रश्न-पत्र में अंकित किसी एक अंक के चुनाव जैसा था, जिसमें हरेक प्रश्न के अलग-अलग अंक थे ......... काफी उलझन के बाद जो इस प्लेट में से मैंने चुना, घर आकर मायूस होकर सोचता रहा, मैंने दूसरा कोई और प्रश्न क्यों नहीं चुना ? ......... आप से गुजारिश है, मेरे जैसे बच्चे को कभी भी इस तरह के उलझन में डालने का प्रयास न कीजियेगा, बहुते पाप लिखी......... बच्चा-बुतरू के आह कब्बो खाली नाहीं जात है, फट्ट से पड़त है ......... आंटी जो हमके साथ खेल्ला किहिन रहीं, हम्मर आह उनका पर तीसरके दिन तब पड़ा, जब बाथरूम में नहाते समय साबुन पर पड़े के कारण उलट गयीं, हाथ टूट गिया......... टूटा भी उहे वाला हाथ, जे हाथ से उ किसिम-किसिम के मिठाई से भरा हुआ पिलेट पकड़ के हमसे पूछ रही थीं-"बेटे इसमें से कोई भी एक ले लो"