एक सेठ जी बहुत ही दयालु थे । धर्म-कर्म में यकीन करते थे। उनके पास जो भी व्यक्ति रुपये उधार मांगने आता, वे उसे मना नहीं करते थे।
सेठ जी मुनीम को बुलाते और जो उधार मांगने वाला व्यक्ति होता उससे पूछते कि ~ *"भाई, तुम उधार कब लौटाओगे..??
इस जन्म में या फिर अगले जन्म में..??"
जो लोग ईमानदार होते वो कहते ~ "सेठ जी। हम तो इसी जन्म में आपका कर्ज़ चुकता कर देंगे।" और कुछ लोग जो ज्यादा चालक व बेईमान होते वे कहते ~ "सेठ जी। हम आपका कर्ज़ अगले जन्म में उतारेंगे और अपनी चालाकी पर वे मन ही मन खुश होते कि ~ "क्या मूर्ख सेठ है।"
अगले जन्म में उधार वापसी की उम्मीद लगाए बैठा है।"
ऐसे लोग मुनीम से पहले ही कह देते कि वो अपना कर्ज़ अगले जन्म में लौटाएंगे और मुनीम भी कभी किसी से कुछ पूछता नहीं था। जो जैसा कह देता.. मुनीम वैसा ही बही में लिख लेता।
एक दिन एक चोर भी सेठ जी के पास उधार मांगने पहुँचा।उसे भी मालूम था कि सेठ अगले जन्म तक के लिए रकम उधार दे देता है। हालांकि उसका मकसद उधार लेने से अधिक सेठ की तिजोरी को देखना था।चोर ने सेठ से कुछ रुपये उधार मांगे, सेठ ने मुनीम को बुलाकर उधार देने को कहा।
मुनीम ने चोर से पूछा - "भाई। इस जन्म में लौटाओगे या अगले जन्म में..??"चोर ने कहा ~ *"मुनीम जी ! मैं यह रकम अगले जन्म में लौटाऊँगा ।"
मुनीम ने तिजोरी खोलकर पैसे उसे दे दिए। चोर ने भी तिजोरी देख ली और तय कर लिया कि इस मूर्ख सेठ की तिजोरी आज रात में ही उड़ा दूँगा।
वो रात में ही सेठ के घर पहुँच गया और वहीं भैंसों के तबेले में छिपकर सेठ के सोने का इन्तजार करने लगा।अचानक चोर ने सुना कि भैंस और एक गाय का बछड़ा आपस में बातें कर रहें हैं और वह चोर भैंस और बछड़े की भाषा ठीक से समझ पा रहा है। भैंस ने गाय के बछड़े से पूछा ~ "तुम तो आज ही आई हो न, बहन।"उस बछड़े ने जवाब दिया ~ “हाँ, आज ही सेठ के तबेले में आई हूँ, सेठ जी का पिछले जन्म का कर्ज़ उतारना है और तुम कब से यहाँ हो..??”उस बछड़े ने पलटकर पूछा तो भैंस ने बताया - "मुझे तो दस साल हो गए हैं.. बहन ! मैंने सेठ जी से मामूली कर्ज़ लिया था यह कहकर कि अगले जन्म में लौटाऊँगी।
सेठ से उधार लेने के बाद जब मेरी मृत्यु हो गई तो मैं भैंस बन गई और सेठ के तबेले में चली आयी और अब दूध देकर उसका कर्ज़ उतार रही हूँ।कल सुबह जब सेठ का नौकर मेरा दूध निकाल लेगा तो मेरा क़र्ज़ा उतर जाएगा और मेरे प्राण पखेरू उड़ जाएँगे और मेरा इस भेंस की जून से छुटकारा भी मिल जाएगा ।”
भेंस ने गाय के बछड़े को पूछा * *तुम्हारा कितना क़र्ज़ हैतो बछड़ा* *बोला 100 स्वर्ण मुद्राएँ भेंस ने * *कहा इतना बड़ा क़र्ज़ तुम तो आज ही आई तुम्हारा क़र्ज़ा उतरने में तो कयीं जनम लग जाएँगे
गाय के बछड़े ने कहा नहीं मेरा क़र्ज़ दो दिन बाद उतर जाएगा भेंस बहुत हैरान हुआ पूछा कैसे
गाय के बछड़े ने कहा यहाँ को जो राजा है वह सुबह मुनियादि (Announcement) करवाने वाला है उसका कयीं दिनो से जो भूखा शेर है उसे दो दिन के बाद पिंजरे से छोड़ा जाएगा *और गाँव का कोई जानवर उससे लड़ेगा और जीत जाएगा तो उसके मालिक को 100 स्वर्ण मुंद्रआएँ इनाम में दीं जाएँगी
और मैं जा कर उससे लड़ूँगा और जीत जाऊँगा और मेरे मालिक 100 स्वर्ण मुंद्रआएँ मिल जाएँगी और मेरा क़र्ज़ उतर जाएगा
भेंस ने हैरान होकर पूछा आप कैसे जीत जाओगे तो गाय बछड़ा बोला मैंने तो शेर से 500 स्वर्ण मुंद्रआएँ लेनी है वह तो मेरे आगे दहाड़ना तो क्या चूँ भी नहीं करेगा
चोर ने जब उन भैंस और गाय के बछड़े की बातें सुनी तो होश उड़ गए
उसने चोरी करने इरादा बदल दिया और अब सुबह होने का इंतज़ार करने लगा
सुबह सेठ का नौकर आया भेंस का दूध निकाला जैसे ही सारा दूध निकाल लिया उसके तुरंत बाद भेंस के प्राण पखेरू उड़ गये यह देखकर चोर बहुत ही हैरान हुआ
थोड़ी ही देर बाद राजा का मुनियादि वाला भी आ गया जैसा कि गाय के बछड़े ने बोला था वैसे ही मुनियादि होने लगी
अब तो चोर को सब बातों का विश्वास होने लगा अब दो दिन बाद होने वाली शेर और बछड़े की लड़ाई देखेने के लिए आतुर हो गया
दो दिन बाद राजा के महल सामने खुले स्थान पर चारों तरफ़ (नेट ) जाल लगा कर उसमें गाय के बछड़े को छोड़ दिया अब सभी नगरवासी इस लड़ाई को देखने के लिए बेक़रार हो रहे थे राजा ने इशारा किया और सेवकों ने भूखे शेर को गाय के बछड़े पर छोड़ दिया । भूखा शेर दहाड़ता हुआ तेज़ी से अपने शिकार की और भागा लेकिन जैसे ही भूख से तड़पते शेर ने अपने सामने गाय के बछड़े को देखा तो एकदम रुक गया और धीरे धीरे चल कर गाय के बछड़े के सामने आ कर झुक गया और शांत हो कर उसके कदमों में बैठ गया।सब नगरवासी हैरान हो गये और राजा ने बहुत हैरान होकर गाय के बछड़े को विजेयता घोषित कर 100 स्वर्ण मुंद्रआएँ सेठ को दी और गाय के बछड़े का भी क़र्ज़ा उतर गया।
इधर इस सारे मामले ने चोर को झकझोर के रख दिया
चोर को यह तो समझ आ गयी कि क़र्ज़े का पैसा तो हर हालत में वापस देना ही होगा
चाहे इस जनम में चाहे अगले जनम में लेकिन क़र्ज़ा नहीं चुका पाए कितने भी (ताकतवर ) हों शेर की तरह बछड़े सामने झुककर अपनी इज़्ज़त भी नहीं बचा पाएँगे ।
करमों का फल ज़रूर मिलेगा चाहे इस जनम या किसी और जनम
चोर भागा और वापस जा कर सेठ के पाँव में पड़ गया और माफ़ी माँग कर पैसे वापस देने लगा *।*लेकिन सेठ ने इस जनम में पैसे वापस लेने से मना कर दिया और चोर बहुत भुजे मन से उठा चल दिया
बहुत परेशानी में चला जा रहा था कि अचानक एक पहुँचे हुए संत मिल गये चोर उनके पाँव में गिर पड़ा और अपनी तकलीफ़ बताई इस क़र्ज़ के बोझ छुटकारा चाहा
संत ने कहा करम फल तो भुगतना ही पड़ेगा लेकिन एक रास्ता है लोगों द्वारा दूध न देने वाली छोड़ी ही गाय के लिए गौशला बनवाकर उनकी सेवा करोगे तो तुम्हारा यह जनम तो सुधरेगा ही अगला जनम बहुत भाग्यशाली होगा और सेठ का क़र्ज़ भी बहुत आसानी से उतर जाएगा
साधु की बात सुनकर चोर बहुत ही शांति मिली और जैसा साधु ने कहा वैसा ही किया ग़ौशला का नाम भी सेठ नाम से रखा और गाऊँ माता की खूब सेवा करने लगा ।
एक दिन सेठ गौशाला के रास्ते से गुज़रा अपने नाम की गौशाला देखकर अंदर चला गया तो देखा वो ही चोर ।सेठ ने चोर से अपने नाम की गौशाला का कारण जानना चाहा ।तो चोर बोला अपने पैसे तो वापस लिए नहीं।मुझे एक साधु ने सनमती दी जिससे मेने आपके दिए हुए पैसे से यह गौशाला आपके नाम बना दी।सेठ ने चोर को खुश हो कर गले से लगा लिया और बोला तुम ऐसे पहले इंसान हो जो मुझे अगले जनम का बोलकर इसी जनम में पैसा (क़र्ज़ )लोटा दिया अपितु ऐसा सब कुछ करके मुझे अपना क़र्ज़दार बना दिया है
हमने जो ख़राब किए है उनका फल तो भुगतना ही पड़ेगा लेकिन अच्छें करम करके अपने बुरे करमों के असर को कम भी कर सकते है या अपने बुरे करमों को पूरी तरह से ख़त्म भी कर सकते है।