ज्ञानेन्द्र आर्य's Album: Wall Photos

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उपनिषदों में एक कथा है राजा शिवि की, राजा शिवि के पास एक दिन एक उड़ता हुआ कबूतर आता है जिसे एक बाज अपना भोजन बनाना चाहता था। कबूतर के प्राण रक्षा के विनय पर राजा शिवि ने बाज को कबूतर के तौल के बराबर अपने शरीर का मांस भोजन के लिए देने का वचन दिया।
.... तराजू के दूसरे पलड़े पर बैठे कबूतर का वजन राजा शिवि की शरीर के मांस से पूरा नहीं हो रहा था ... जी हां 100-50 ग्राम के कबूतर को तोलने में राजा शिवि का पूरा शरीर कम पड़ जाता है।

मनोरथों का वजन चाहे जितना हो कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन उसे पूरा करने में एक पूरा राजा शिवि ... एक व्यक्ति का पूरा अस्तित्व कम पड़ जाता है ... और इस संसार को भोगने की तृष्णा कभी शांत नहीं हो पाती। ... यदि कोई समझ गया तो वह कबूतर और बाज ... "मनोरथ और आकांक्षा" दोनों देवताओं के रूप में उसके समक्ष वंदना करते हैं और नहीं समझ पाया था करोड़ों मृत होने की नियति लिए जन्में शुक्र की तरह नष्ट हो जाते हैं ...

ॐ नमः शिवाय