राम प्रसाद 'बिस्मिल' भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की क्रान्तिकारी धारा के एक प्रमुख सेनानी थे, जिन्हें ३० वर्ष की आयु में ब्रिटिश सरकार ने फाँसी दे दी। वे मैनपुरी षड्यन्त्र व काकोरी-काण्ड जैसी कई घटनाओं में शामिल थे तथा हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सदस्य भी थे|
“सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-कातिल में है।”.
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में ये पंक्तियाँ सेनानियों का मशहूर नारा बनीं। 1921 में बिस्मिल अज़ीमाबादी की लिखी इन पंक्तियों को जिस व्यक्ति ने अमर बना दिया वह थे राम प्रसाद बिस्मिल! महान क्रांतिकारी के जयंती पर कोटि कोटि नमन