आज #PVNarasimhaRao की जनशताब्दी है। कांग्रेस में गांधी परिवार के बाहर का वह प्रधानमंत्री, जिसे कांग्रेस ने कभी सम्मान नहीं दिया। भारत को लाइसेंस-कोटा राज वाली समाजवादी अर्थव्यवस्था से निकाल कर उदारीकरण के रास्ते ले जाने वाले वही थे।
भारत में वह आर्थिक सुधार के जनक हैं, जिन्होंने भारत को सोना गिरवी रखने जैसे अपमान से उबारा। कांग्रेसियों और उनके पूरे इको-सिस्टम ने यह श्रेय भी उनसे छीनकर अपनी 'कठपुतली बाई' को दे दिया!
नवभारत टाइम्स लिखता है, "वर्ष 2004 में पीवी नरसिम्हा राव ने बीमारी की वजह से दम तोड़ दिया। कांग्रेस नेतृत्व ने राव का बायकॉट किस हद तक कर दिया था, इसका अंदाजा इसी से लगता है कि उनके पार्थिव शरीर को कांग्रेस मुख्यालय तक में नहीं आने दिया गया। श्रद्धांजलि सभा तक आयोजित नहीं होने दी गई और उनके शव को आनन-फानन में हैदराबाद रवाना कर दिया गया। उसी साल सत्ता में आई कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने राजधानी दिल्ली में जगह की कमी का हवाला देते हुए पूर्व पीएम का स्मृति स्थल तक बनवाने से मना कर दिया।"