अमित जी कौशल's Album: Wall Photos

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सुमंगलम सुप्रभात
नीति कथन

कुसुमस्तबकस्येव द्वयी वृत्तिर्मनस्विन:।
मूर्धिन् वा सर्वलोकस्य शीर्यते वन एव वा।।

मनस्वी पुरुष की स्थिति फूलों के गुच्छे की तरह दो ही प्रकार की होती है। जिस प्रकार फूलों का गुच्छा या तो सभी लोगों के मस्तक पर चढ़ता है अथवा वन में ही झड़ जाता है, उसी प्रकार मनस्वी या तो श्रेष्ठ सम्मान प्राप्त करते हैं अथवा नष्ट हो जाते हैं।

जय श्री हरि जी की