जब मोहन भागवत जी ने कहा था कि इस्लाम के बिना हिंदुत्व अधूरा है तो कुछ लोग बहुत विरोध किए थे ।
जबकि ये बिल्कुल सच है, हिंदू के अंदर हिंदुत्व को जिंदा रखने में इस्लाम का बहुत बड़ा योगदान है ।
हिन्दू उस वक्त तक जातियों में बटा रहता है जब तक कि वो किसी शांति दूत द्वारा प्रताड़ित ना हो ।
मैंने बहुत दलितों को करीब से देखा हैं जो बड़े जोड़ शोर से जय भीम जय मीम का नारा बुलंद करते थे मगर जब विशेष वर्ग द्वारा उसके जान और इज्जत पर बन आई तो वो फिर से हिंदुत्व के ओर लौट आए ।
उदाहरण स्वरूप आप पश्चिमी उत्तर प्रदेश को देख सकते है।
बंगाल जो कि निहायत ही सेक्यूलर लोगो का प्रदेश था , आप शायद यकीन ना करे मगर ये सच है कि बंगाल का कुछ प्रबुद्ध वर्ग बड़े ही शान से बीफ के रेसिपी का बखान करते रहता था ।
ऐसे लोग को मै बहुत करीब से देखा है जिनके सामने आप धर्म के बारे में चर्चा करते थे तो वो लोग बहुत ही बुरे नजरो से देखते थे, उनके नजर में धर्म की बात करने वाला पिछड़ा और अनपढ़ के श्रेणी में आता था।
परंतु वक्त ने करवट लिया,
ममता का शासन आया,
शांति प्रिय समुदाय ने अपना भाई चारा दिखाना शुरू किया ।
बलात्कार, हत्या , डकैती, हिस्से में हक मारी, घर जलाना जैसे प्रेम कार्य शुरू हुए तो फिर उनको याद आया धर्म ।
परिणाम ! जिस बंगाल में भाजपा का नाम लेने वाला कोई नहीं होता था उस भाजपा को 18 सीटें आ गई, और आज सरकार बनाने का दावेदार हो गई है भाजपा बंगाल में ।
ये सब संभव हुआ उसी शांति दूतों के कारण ।
दलितों को तब तक ही जय भीम जय मीम का नशा रहता है, जब तक मीम भीम को निगलने नहीं लग जाता ।
इसलिए हिंदुत्व को जिंदा रखने के लिए,
हिंदुत्व में जोश भरने के लिए,
#जातिवाद के जाल से मुक्ति के लिए
जय भीम जय मीम में छलावे से मुक्ति के लिए,
आज के युग में इस्लाम जरुरी है।