हमारे पूर्वज ना केवल वास्तुकला में हमसे आगे थे बल्कि उनका विज्ञान भी हमसे कहीं आगे था ।
1541 में कोपरनिकस ~"पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है"
5000 साल पहले भरत में ~ ऋग्वेद (10.22.14) - "यह पृथ्वी हाथ और पैर रहित है फिर भी यह आगे बढ़ती है। पृथ्वी की सभी वस्तुएं भी इसके साथ चलती हैं। यह सूर्य के चारों ओर घूमती है।