Shitala Dubey's Album: Wall Photos

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शान्तितुल्यं तपो नास्ति संतोषान्न परमं सुखम्।
नास्ति तृष्णापरो व्याधिर्न च धर्मो दयापरः॥

भावार्थ - शान्ति जैसा कोई तप (यहाँ तप का अर्थ उपलब्धि समझना चाहिए) नहीं है, सन्तोष जैसा कोई सुख नहीं है (कहा भी गया है "संतोषी सदा सुखी", कामना जैसी कोई ब्याधि नहीं है और दया जैसा कोई धर्म नहीं है।