चीन के विरुद्ध भारत ने सेना तो डिप्लाॅय की, लेकिन हर बार निम्न से उच्च स्तर की निरस्त हो रही मीटिंग के बाद भी चीन की मंशा के अनुरूप एस जयशंकर या राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को भारत ने बातचीत से दूर रखा,
और अपनी सभी एलॉय और चीन से राजनीति में रुचि रखने वाले देशों को अपना स्टैंड स्पष्ट कर दिया,
चीन को लग रहा था कि हर उच्च स्तर की निरस्त हो रही मीटिंग के बाद भारत उसे मनाने की कोशिश करेगा और अपने शीर्ष अधिकारियों जैसे डोभाल को भेजेगा,
जिससे विश्व समुदाय को लगता के चीन अच्छे मूड में नहीं है,
लेकिन बात बनी नहीं चीन की...
वह घटना तो याद होगी ही जब पाकिस्तान का प्रधानमंत्री चीन में उतरता है तो किसी शहर का मेयर उसके स्वागत करने के लिए जाता है...