जब खुद के शासन पर राजनीति कर घृणित अविश्वास पैदा किया जाता है तो इसी प्रकार #पर_देश के प्रति आशक्ति बढ़ती है। हमारे आस पास सैकड़ों लोग जो पूर्व में सैन्य सेवायें दे चुके हैं। वापस आने के बाद सेना के ऊपर ही सवाल खड़ा करते हैं, उसके सूचना को संदिग्ध मानते हैं।
जिन्होंने अपनी जवानी खपा दी देश सेवा में अब राजनीतिक घटनाक्रम से विचलित हो राष्ट्रनीति को भी राजनीति ही मानते हैं। यह बहुत ही दुर्लभतम और अक्षम्य अपराधों में से एक है। यही एक देश का वर्ग था जिसे राष्ट्रवाद और राष्ट्रहित से कम कुछ भी स्वीकार नहीं था, किन्तु राजनीतिक महत्वकांक्षा देशनीति से ऊपर हो गई है।