Shiva Nand Tiwari's Album: Wall Photos

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#मैं_जल_हूँ
जीवन निष्प्राण है,
मेरे अभाव में।
मैं समाहित हूँ,
सृष्टि के सार में।
मुझे समरसता के समतल से
अथाह प्रेम है।
उबड़-खाबड़ में ही,
मेरा तीब्र प्रवाह है।
रुकता नहीं मैं!
विशाल अवरोधों से।
झुकता नहीं मैं,
मन,विचार, सिद्धांत और परंपरा के प्रयोगों से।
मेरा उपभोग कर ले दुनिया,
अपने मन की तृप्ति तक।
खयालात न रखे दुनिया,
मेरे शीतल मन के दोहन की।
मैं भी समझता हूँ,
जनता हूँ....
और हाँ!
महशूस भी करता हूँ।
तभी तो
मेरी भी दृष्टि बदल जाती है,
और मेरा प्रवाह भी!
जो रंगहीन, गंधहीन और स्वादहीन होते हुए भी,
अद्भुत स्वाद देता है
दुनिया को।
तो फिर वही बदल जाता है,
शोणित के विकराल प्रवाह में,
और पूरी दुनिया डूब जाती है,
शोक के संसार में।
तभी तो कहता हूँ!
बहने दो मुझे,
अपने प्रकृति निर्मित पथ पर,
क्यों कि
तुम रोक भी नहीं सकते,
हमें अपनी जिद पर।
एक तरफ मैं जीवन का,
सरस प्रवाह हूँ,
तो दूसरी तरफ ...
भयंकर प्रलय का वाहक भी।
तभी तो कहता हूँ,
मत रोको
कल-कल के कलरव गीत गुनगुनाते,
बहने दो मुझे,
अपने ही रास्ते पर,
चलने दो मुझे।
मैं जल हूँ!
जल में ही
मिलने दो मुझे।।
(शिवा नन्द तिवारी)
#औ_न_त_का