Umakant Mandal's Album: Wall Photos

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शत नमन माधव चरण में
शत नमन माधव चरण में ॥धृ॥
आपकी पीयूष वाणी, शब्द को भी धन्य करती
आपकी आत्मीयता थी, युगल नयनों से बरसती
और वह निश्छल हंसी जो, गूँज उठती थी गगन में ॥१॥
ज्ञान में तो आप ऋषिवर, दीखते थे आद्यशंकर
और भोला भाव शिशु सा, खेलता मुख पर निरन्तर
दीन दुखियों के लिये थी, द्रवित करुणाधार मन में ॥२॥
दु:ख सुख निन्दा प्रशंसा, आप को सब एक ही थे
दिव्य गीता ज्ञान से युत, आप तो स्थितप्रज्ञ ही थे
भरत भू के पुत्र उत्तम, आप थे युगपुरुष जन में ॥३॥
सिन्धु सा गम्भीर मानस, थाह कब पाई किसी ने
आ गया सम्पर्क में जो, धन्यता पाई उसी ने
आप योगेश्वर नये थे, छल भरे कुरुक्षेत्र रण में ॥४॥
मेरु गिरि सा मन अडिग था, आपने पाया महात्मन
त्याग कैसा आप का वह, तेज साहस शील पावन
मात्र दर्शन भस्म कर दे, घोर षडरिपु एक क्षण में ॥५॥


पुण्यात्मा को शत शत नमन