पहली तस्वीर - अभिनेता शाहरुख खान की बेटी सुहाना खान
दूसरी तस्वीर - अभिनेता सैफ अली खान की बेटी सारा अली खान
तीसरी तस्वीर - गीतकार जावेद अख्तर जी की बेटी जोया अख्तर
सर्वप्रथम स्पष्ट करना चाहता हूं कि इस व्याख्या/फोटोज़ के माध्यम से किसी भी बहन को मानसिक या किसी भी प्रकार की कोई ठेस पहुँचना मेरा आशय नही है ।
सीधा संवाद अमुवि छात्र रहमान दानिश,अमुवि प्रोफेसर सहित उन तमाम बुद्धिजीवियों से है जो कहते हैं कि "हिजाब और बुर्का तो महिलाओं की शान है..महिलाओं को अपना सर ढक कर रखना चाहिए"
हिन्दू छात्रा को पीतल का हिजाब पहनाने की धमकी देने वाला अमुवि छात्र इन तीनों ही अभिनेत्रियों से भली भांति परिचित होगा..ये तीनों ही अभिनेत्रियां एक विशेष धर्म से सम्बन्ध रखती हैं और आप देख रहे होंगे किस प्रकार के हिजाब को फॉलो करतीं हैं (फिर से स्पष्ट करना चाहूंगा कि किसी के निजी जीवन में दखल नहीं दे रहा..ये उनके मौलिक अधिकार का एक अंग है और संविधान इसकी स्वतंत्रता देता है)
किंतु मेरा प्रश्न है बुद्धिजीवियों से कि शरीयत के कानून से इनको बाहर क्यों रखा गया है क्यों कोई इनको हिजाब पहनने के लिए धमकी नही देता ?? क्यों कोई फतवा जारी नही करता ??
या सिर्फ साधारण-सामान्य महिलाओं पर ही थोपा जायेगा ??
अतः bu_turabee (अमुवि छात्र) आप हिन्दू छात्रा को पीतल का हिजाब पहनाने के बजाय इन्हें हिजाब पहनाकर दिखाएं ।