मैं भी नीच जाति से हूं , आजतक मुझे भी किसी मंदिर में मेरी जाति नही पूछी गयी , न ही कोई भेदभाव हुआ
पंडित जी जब भी मेरे घर आते हैं चाय भी पीते हैं, भोजन भी करते हैं,
तमाम दलित संगठन, मुसलिम संगठन और ईसाई मिशनरियां अपनी राजनीतिक रोटी सेकने के लिए भोले भाले दलितो को हिदूं धरम से अलग करने के लिए छुआछूत, भेदभाव ,शोषण आदि के फेक कहानियां बनाकर साजीश रच रहे है,