यह व्यक्ति स्वीडिश नागरिकता रखता है पहले यह जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर था इतना ही नहीं यूनेस्को ने इसे अपनी एक संस्था का चेयरमैन तक बनाया था अभी यह स्वीडन की एक यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर है
और इसके विचार देखिए
दरअसल एक सच्चे वामपंथी की यही पहचान होती है इन्हें कभी शांति अच्छी नहीं लगती इन्हें इंसानों का खून बहुत अच्छा लगता है
क्योंकि क्यूबा से लेकर वेनेजुएला कोलंबिया भारत चीन सोवियत संघ पोलैंड वियतनाम कंबोडिया जैसे न जाने कितने देशों में इन्होंने इंसानी लहू को पिया है और एक बार जिसे इंसानी लहू का स्वाद लग जाए उसे बार-बार इंसानी लहू ही पीने की इच्छा होती है
अमेरिका के हालत पर भारत में बैठे वामपंथी यह नहीं कह रहे हैं ऐसी घटना कभी भारत में नहीं होनी चाहिए लेकिन यह दोगले कह रहे हैं कि ऐसी घटना भारत में भी होनी चाहिए