चच्चा नेहरु इत्ते बड्डे दूरदर्शी नेता थे कि इस्त्राइल बसा 1948 मेँ……………लेकिन भारत ने उसे औपचारिक मान्यता दी 1957 मेँ……………ध्यान दीजिए , सिर्फ औपचारिक मान्यता !!!!………….न राजदूत भेजा गया , न दूतावास बनाया गया और न ही वाणिज्य दूतावास खोला गया.
आखिर क्युं भई !………
……इसलिए कि आप खिलाफत आंदोलन के जमाने से ही अरबोँ का साथ दे रहे थे और नहीँ चाहते थे कि उनकी छाती पर यहूदी सवार होँ ???!!!!.
पर हाय री किस्मत ! संयुक्त राष्ट्र की फिलिस्तीन समिति का सदस्य होने के बावजूद चचा की एक न चली.
…………और हुआ उल्टा ही.फिलिस्तीन का बँटवारा हो गया.
यहूदियोँ ने अपना राज्य खड़ा कर दिया - वो भी , अरबोँ के सीने मेँ खंजर की तरह ।