आर्य आशुतोष's Album: Wall Photos

Photo 3 of 5 in Wall Photos

गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्रीराम कथा के साथ ही सुखी और सफल जीवन के लिए कई नीतियां भी बताई हैं।
इन नीतियों का ध्यान रखा जाए तो हम कई परेशानियों से बच सकते हैं। आइए समझते हैं कि माता सीता और माता अनसूया के संवाद के आधार पर हम किसी व्यक्ति को कब परख सकते हैं?

माता अनसूया सीता माता से कहती हैं- धीरज, धर्म, मित्र अरु नारी। आपद काल परखिए चारी।
भावार्थ
1: इस चौपाई में माता कहती हैं कि धीरज यानी धैर्य की परख परेशानियों में ही होती है, क्योंकि विपरित हालात में व्यक्ति क्रोधित हो जाता है और गलती कर देता है।

2: धर्म की परीक्षा भी बुरे समय में ही होती है। अगर कोई व्यक्ति परेशानियों में भी बेईमानी नहीं करता है, झूठ नहीं बोलता है और धर्म के मार्ग पर ही चलते रहता है तो वह श्रेष्ठ व्यक्ति होता है।

3: जब हमारे जीवन में गरीबी आती है, बीमारियां आती हैं और बुरा समय शुरू हो जाता है तब हमारे मित्रों की परीक्षा होती है। ऐसे हालातों में हम मित्रों की मदद से ही बाहर निकल सकते हैं। मित्रों की मदद से लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं।

4: माता अनसूया सीता से कहती हैं कि पत्नी की परख तब होती है, जब उसके पति पर दुख आता है, जब पति की धन-संपत्ति नष्ट हो जाती है, जब घर-परिवार और समाज पति का साथ नहीं देता है। अगर उस समय में पत्नी अपने पति का साथ देती है तो वह श्रेष्ठ होती है। अगर पत्नी अच्छी हो तो पति को ऊंचाइयों तक पहुंचा सकती है, लेकिन अगर पत्नी अच्छी न हो तो किसी राजा को भिखारी बना सकती है।