क्या छेनी पर हथौड़ी का हर बार सटीक स्ट्रोक आसान रहा होगा ?
क्या दुनियाँ भर में कहीं भी अन्य सभ्यताओं की ऐसी मूर्तियाँ प्राप्त हुई हैं ?
अगर नहीं.. तो फिर हमारी उन्नत सभ्यता के इन विरासतों को नजरअंदाज क्यों किया गया ?
जिस दिन इतिहास की किताबें वामपंथी सोच से आजाद होंगी ..हमारे वास्तविक इतिहास का सूर्य भी आकाश में चमकता दिखेगा .