pandit santosh Sharma 's Album: Wall Photos

Photo 30 of 58 in Wall Photos

#दोगलापन......

ईसाईन सोनिया गांधी तुम पहली या अकेली नहीं हो. तुम जैसे लाखों आए और चले गए...
ब्राह्मणों की प्रतिष्ठा और पहचान पर विदेशी मूल की ईसाईन सोनिया के सबसे खतरनाक हमले को हमदर्दी समझ रहे कुछ महामूर्ख ब्राह्मणों के ध्यानार्थ सूचनार्थ है यह पोस्ट....
प्रारम्भ में ही यह स्पष्ट कर दूं कि पूरी दुनिया में धर्म परिर्वतन कराने के कुकर्म में सक्रिय ईसाई मिशनरियों का मुख्यालय इटली (रोम) में है. यह सत्य भी सार्वजनिक है कि सोनिया गांधी इटालियन मूल की ही महिला है, जो इटली में ही जन्मी और पली बढ़ी है. केवल 12 दिन पहले पूरे देश ने यह समाचार देखा सुना पढ़ा है कि 30 जून 2020 को दिग्गज कांग्रेसी नेता और वकील कपिल सिब्बल ने बॉम्बे हाइकोर्ट के समक्ष सोनिया गांधी का पक्ष रखते हुए यह भी स्पष्ट किया है कि सोनिया गांधी आज भी ईसाई धर्मावलम्बी ही है.
अब बात मुद्दे की...
ध्यान रहे कि विदेशी मूल की ईसाईन सोनिया गांधी की इच्छा के विरुद्ध कांग्रेस में पत्ता भी नहीं हिलता. पूरे देश ने यह भी देखा और सुना है कि दुर्दांत हत्यारे अपराधी नरपशु विकास दुबे और उसके गुर्गों के विरुद्ध पुलिस कार्रवाई एवं एनकाउंटर को ब्राह्मणों पर अत्याचार के रूप में दुष्प्रचारित करने का कुटिल षड्यंत्र कांग्रेस ने ही प्रारम्भ किया. इसके बाद ही कुछ महामूर्खों ने यही विलाप प्रलाप करना प्रारम्भ कर दिया है. इसकी विस्तृत व्याख्या, चर्चा इसी पोस्ट में आगे करूंगा. लेकिन पहले उस सच्चाई से अवगत होइए कि ब्राह्मणों के प्रति क्या कितनी और कैसी सहानुभूति और सम्मान की भावना विदेशी मूल की ईसाईन सोनिया गांधी और उसकी कांग्रेस के मन में है.

विदेशी मूल की ईसाईन सोनिया गांधी ने कांग्रेस की कमान संभालते ही सबसे पहले उस ब्राह्मण को आहत अपमानित किया था, जो ब्राह्मण 8 भारतीय एवं 8 विदेशी समेत कुल सोलह भाषाओं का ज्ञाता था. संस्कृत भाषा का प्रकांड विद्वान तथा चारों वेद समेत प्राचीन भारतीय धार्मिक आध्यात्मिक ग्रंथों का विलक्षण अध्येता था. उस ब्राह्मण ने इस देश की दिशा और दशा बदलने का ऐतिहासिक कार्य किया था.
राजीव गांधी की कांग्रेस के समर्थन से चली केवल 52 सांसदों वाली चन्द्रशेखर की सरकार ने देश का सोना वर्ल्ड बैंक में गिरवी रख कर भारत के भिखारी हो जाने का नगाड़ा जब पूरी दुनिया में बजवा दिया था. उस कलंक को इसी ब्राह्मण ने धोया था और 5 साल शासन के बाद जब सत्ता से विदा हुआ था तो देश को उस कंगाली के गर्त से निकाल कर देश के खजाने में 25 बिलियन डॉलर से अधिक की विदेशी मुद्रा सुरक्षित छोड़कर विदा हुआ था. आजादी के बाद 45 वर्ष तक चले मुस्लिम तुष्टीकरण के सेक्युलरी पाखंड को ध्वस्त करते हुए उस ब्राह्मण ने इजराइल के साथ भारत के कूटनीतिक सामरिक सम्बन्धों की औपचारिक आधिकारिक शुरुआत कर के देश की सुरक्षा से सम्बंधित वह बीज बोया था जिसका मीठा फल देश आज खा रहा है और भविष्य में भी खाता रहेगा. उस ब्राह्मण के ऐसे साहसिक ऐतिहासिक फैसलों का यशगान देश की इतिहास पुस्तिका के पन्ने सदा करते रहेंगे. लेकिन इतिहास के वही पन्ने आने वाली पीढ़ियों को यह भी बताएंगे कि उस ब्राह्मण को एक विदेशी मूल की ईसाईन सोनिया गांधी ने इतनी बुरी तरह अपमानित किया था कि उसके निधन के पश्चात जब उसकी अंतिम इच्छा की पूर्ति हेतु उसके शव को पार्टी कार्यालय लाया गया था तो पार्टी के अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठी ईसाईन सोनिया गांधी ने पार्टी कार्यालय के गेट पर ताला लगवा कर वहां पुलिस और पार्टी के पालतू गुंडों की फौज इसलिए तैनात करवा दी थी ताकि उस ब्राह्मण का शव उसकी अंतिम इच्छानुरूप कार्यालय के अंदर नहीं लाया जा सके. पार्टी कार्यालय के बाहर कार्यालय का गेट खुलने की प्रतीक्षा में थोड़ी देर सड़क पर रुकी उस ब्राह्मण की लाश विदेशी मूल की ईसाईन सोनिया गांधी के घृणित राजनीतिक धार्मिक जातीय विद्वेष के हाथों बुरी तरह अपमानित होकर चली गयी थी. लेकिन विदेशी मूल की ईसाईन सोनिया गांधी की उस ब्राह्मण के प्रति घृणा और विद्वेष की आग इसके बाद भी ठंडी नहीं हुई थी. उसने फ़रमान जारी किया था कि 5 साल तक देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठकर अनुपम इतिहास रच गए उस ब्राह्मण का दाह संस्कार राजधानी दिल्ली में नहीं किया जाएगा तथा उसका कोई स्मारक भी दिल्ली में नहीं बनाया जाएगा. हुआ भी यही था. #पामुलापति_वेंकट_नरसिंह_राव नाम के उस ब्राह्मण का ना दाह संस्कार दिल्ली में हुआ था ना ही उनका कोई स्मारक दिल्ली में बना था. प्रधानमंत्री मोदी ने अब जो प्रशंसनीय ऐतिहासिक पहल की है उसके चलते नरसिंह राव जी को अब वह सम्मान अवश्य प्राप्त होगा. देश की राजधानी दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू के नाम पर कांग्रेस द्वारा क़ब्ज़ाई गई भूमि को कठोर कार्रवाई कर के कांग्रेस से वापस लेकर उस पर देश के सभी प्रधानमंत्रियों की स्मृति में बन रहे संग्रहालयों में पीवी नरसिंह राव जी का भी संग्रहालय बन रहा है.
ऐसे परम विद्वान कालजयी राजनेता रहे एक ब्राह्मण पीवी नरसिंह राव जी को बुरी तरह अपमानित करने वाली विदेशी मूल की ईसाईन सोनिया गांधी और उसकी कांग्रेस अब दुर्दांत हत्यारे अपराधी नरपशु विकास दुबे और उसके गुर्गों के विरुद्ध पुलिस की कार्रवाई और एनकाउंटर के कारण अचानक क्या इसलिए क्रोध से उबलने लगी है क्योंकि उसे इस पुलिस कार्रवाई में ब्राह्मणों के प्रति अत्याचार के दिव्य दर्शन हो गए हैं.? ऐसा सोचने वाले कुछ महामूर्ख ब्राह्मण अपना उपचार आगरा या बरेली के पागलखाने में करवाए. उनके लिए यही उचित होगा.
पोस्ट की शुरुआत में ही स्पष्ट कर चुका हूं कि सोनिया की इच्छा के विरुद्ध कांग्रेस में पत्ता भी नहीं हिलता. और दुर्दांत हत्यारे अपराधी नरपशु विकास दुबे का जब घर ध्वस्त किया गया तो ब्राह्मणों से हमदर्दी की नकाब पहनकर सबसे पहले अपनी छाती कूटते हुए उत्तरप्रदेश का कोई कांग्रेसी नेता सामने नहीं आया था. इसके बजाय उस हत्यारे अपराधी नरपशु का घर गिराए जाने का विरोध कर के उससे सहानुभूति दर्शाने, उसका समर्थन करने की शुरुआत विदेशी मूल की ईसाईन की कांग्रेस के दिल्ली दरबार के दरबारी नेता सलमान खुर्शीद, दिग्विजय सिंह और गुलाम नबी आजाद ने की थी. दिल्ली दरबार के इस संकेत संदेश के बाद दुर्दांत हत्यारे अपराधी नरपशु विकास दुबे के विरुद्ध पुलिस कार्रवाई के विरोध में ब्राह्मणों से हमदर्दी की नकाब पहनकर लखनऊ से दिल्ली तक कांग्रेसी फौज अपनी छाती कूटने में, नंगनाच करने में जुट गयी है.
ध्यान रहे कि यह वही सलमान खुर्शीद, वही दिग्विजय सिंह, वही गुलाम नबी आजाद हैं, जो दिल्ली पुलिस के परमवीर इंस्पेक्टर पंडित मोहनचंद्र शर्मा के हत्यारे मुसलमान आतंकवादियों के एनकाउंटर के विरोध में बुरी तरह आगबबूला हुए थे. दिल्ली से लेकर उन हत्यारे आतंकवादियों के आज़मगढ़ स्थित गांव तक जाकर मातम कर के आए थे. उन हत्यारे मुसलमान आतंकवादियों को निर्दोष मासूम छात्र बताकर, देश के लिए बलिदान हुए दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर पंडित मोहनचंद्र शर्मा को मासूम छात्रों का हत्यारा घोषित करने का कुकर्म वर्षों तक करते रहे थे. ऐसे धूर्त राजनेताओं को आज दुर्दांत हत्यारे अपराधी नरपशु विकास दुबे में ब्राह्मण तथा उसके विरुद्ध हुई कार्रवाई में ब्राह्मणों के विरुद्ध अत्याचार दिखाई देने लगा.?
जो महामूर्ख ऐसा सोच रहे हैं वो यह भलीभांति जान समझ लें कि यह ईसाईन सोनिया गांधी और उसकी कांग्रेस का ब्राह्मणों के प्रति हमदर्दी नहीं बल्कि उनकी पहचान और प्रतिष्ठा पर अत्यन्त घातक हमला है. इसका उल्लेख अगली कुछ पोस्टों में.
फ़िलहाल इस पोस्ट का अन्त भी यही लिखते हुए करूंगा कि... ईसाईन सोनिया गांधी तुम पहली या अकेली नहीं हो. तुम जैसे लाखों आए और चले गए... ब्राह्मणों की पहचान और प्रतिष्ठा पर तुम्हारे घटिया हमलों की तुमको और तुम्हारी कांग्रेस को बहुत भारी क़ीमत चुकानी पड़ेगी.