पिछड़ों को सरकारी नौकरियों में 27% आरक्षण की घोषणा होते ही..."वीपी सिंह हाय हाय, मंडल कमीशन वापस लो, वापस लो..के नारों ने दिल्ली की सत्ता को हिला कर रख दिया था.
दिल्ली के देशबंधु कॉलेज के सवर्ण छात्र ने पिछड़ों को अधिकार दिए जाने के इस फैसले का विरोध करते हुए खुद को आग के हवाले कर लिया था.
कारण था तत्कालीन प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार ने मंडल आयोग लागू करने का ऐलान किया था। इस ऐलान से पिछड़ी जाति के लोगों को सरकारी नौकरी में आरक्षण मिलने वाला था.
इसी एक निर्णय के कारण सवर्ण होने के बाद भी पिछड़ों के नायक वीपी सिंह घोर जातिवादी मानसिकता से घिरे सवर्णों के बीच खलनायक बन गए थे.
मंडल कमीशन लागू करने वाले ऐसे महानायक सामाजिक न्याय के अग्रदूत को आज उनकी जयंती 25 जून के अवसर पर शत् शत् नमन..
इस मंडल आयोग के अध्यक्ष थे...बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल यानि बीपी मंडल.
मोरारजी देसाई के नेतृत्व में बनी पहली गैर-कांग्रेसी सरकार ने 20 दिसंबर 1978 को बीपी मंडल की अगुवाई में 6 सदस्यों के नए आयोग की घोषणा की थी जिसे मंडल आयोग कहा गया.
बीपी मंडल ने देश भर में पिछड़ों के सामाजिक और शैक्षणिक हालात का जायजा लेने के लिए घूम-घूम कर मंडल आयोग की रिपोर्ट तैयार की और बताया कि देश में कुल 3743 पिछड़ी जातियां हैं.
1980 में आयोग ने अपनी रिपोर्ट दी तब मोरारजी देसाई की सरकार गिर चुकी थी.
दस साल बाद मंडल आयोग की सिफारिश को लागू करने के लिए भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का कानून बनाया.
मंडल आयोग की सिफारिशों को जिस समय लागू किया गया था उस वक्त देश भर में विरोध प्रदर्शन होने लगे.
मंडल रिपोर्ट के लागू होने के बाद तंत्र में अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों की भागीदारी बढ़ी। हालांकि मंडल आयोग की अभी दर्जनों सिफारिशें लागू होना बाकी है.....
मंडल कमीशन की सभी सिफारिशें लागू करवाना तो छोड़िये अब तो 27% आरक्षण ही बचाने के लिये ही संघर्ष करना होगा। यही संघर्ष वीपी सिंह के कामों को सची आदरांजलि होगी...
----नीरज भाई पटेल----
संपादक नेशनल जनमत
Journalist Neeraj Bhai Patel
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