क्या आपको पता है कि भारत में ना सिर्फ यूरेनियम के भंडार हैं, बल्कि यूरेनियम की चार एक्टिव खदान भी हैं, जिनसे यूरेनियम की माइनिंग होती है ?
भारत में झारखंड, छत्तीसगढ, राजस्थान, तमिलनाडु, हिमाचल, आंध्र प्रदेश, मेघालय में यूरेनियम की बेल्ट हैं, और झारखंड में चार खदानों से यूरेनियम निकाला जाता है,
अभी कुछ ही दिन पहले हार्वर्ड विश्वविद्यालय की एक रिपोर्ट Facebook पर घूम रही थी कि भारत ने कुछ ही सालों में 2600 परमाणु बम बना लिए हैं, या 2600 बम बनाने की सामग्री इकट्ठी कर ली है !!
जिसके कारण पाकिस्तान, चीन और अमेरिका गहरे सदमे से गुजर रहे हैं, दरअसल यदि भारत के पास यूरेनियम माइन नहीं होती तो भारत के लिए ऐसा करना असंभव था, क्योंकि जब यूरेनियम आयात होता है, तो उसकी दूसरे देशों के एजेंटों द्वारा कड़ी निगरानी होती है कि यह विद्युत उत्पादन के अलावा किसी और काम में इस्तेमाल ना हो !!
वहीं यदि भारत में यूरेनियम निकाला जाता है तो उसकी मॉनिटरिंग करना किसी भी दूसरे देश के लिए संभव नहीं !!
पहले मुझे इस बात का पता नहीं था, लेकिन आज जब Ravish Kumarको भारत में यूरेनियम माइनिंग को बंद करवाने के लिए रोते बिलखते देखा तो पता चला कि भारत में यूरेनियम भी निकाला जाता है, उसके बारे में और दिलचस्पी हुई तो कुछ और जानकारी जुटाने की कोशिश की और तब सबसे पहले मेरे सामने जो वीडियो आए लगभग सभी NDTV के थे,
और सभी में नेगेटिव रिपोर्टिंग, कि भारत में यूरेनियम की माइनिंग बंद होनी चाहिए, माइनिंग के पास वाले गांव के तालाब का पानी खराब हो रहा है, इसलिए उस तालाब के पानी के खराब होने की कीमत पर हमें परमाणु बम नहीं चाहिए, खुद साला इतना डरपोक है कि कार चलाते हुए भी हेडफोन लगाकर रखता है ताकि कोई उसे धमकी दे और वह तुरंत पुलिस को नंबर डायल कर सके, लेकिन उसे भारत परमाणु शक्ति संपन्न नहीं चाहिए क्योंकि रवीश कुमार उस गांव के तालाब में अपनी भैंस नहीं नहला सकता, फिर भले ही चाइना और पाकिस्तान जैसे दो कौड़ी के कुत्ते हमें काट लें !!
रवीश कुमार एनडीटीवी ने भारत की यूरेनियम माइन को बंद करने के लिए की जा रही रिपोर्टिंग पर जितना पैसा खर्च किया है, यदि इतने रुपए खर्च करके एक 2000 लीटर प्रतिदिन की क्षमता वाला एयर टू वाटर जनरेटर उस गांव में लगवा देता तो उस गांव का भला होता, इससे पता चलता है कि भारत की प्रगति को रोकने के लिए ऐसे पत्रकार विदेशी शक्तियों के द्वारा पाल-पोसकर बड़े किए जाते हैं !!
तो भाई जी, रवीश कुमार चीनी वामपंथी की उछल कूद और रिपोर्टिंग पर भरोसा रखें, और उस पर भरोसा नहीं है तो हार्वर्ड विश्वविद्यालय पर भरोसा रखें, कि भारत के पास 2600 परमाणु बम हैं, या बनाने की सामग्री है !!
और यह बात सबको पता है कि भारत के पास थोरियम के भी दुनिया में सबसे ज्यादा भंडार हैं, इसके साथ ही 2050 तक भारत चाहता है कि आधी उर्जा जरूरतें थोरियम से पूरी हों भारत एक गरीब देश नहीं है, भारत के पास प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधन हैं, भारत के पास काम करने के लिए सबसे मेहनती लोग हैं, बस जरूरत है तो सोनिया गांधी, रवीश कुमार वामपंथी जैसे विदेशी एजेंटों से भारत को बचाकर रखने की !!