भिण्ड। सरकारी अस्पताल में कोविड मरीजों की देखभाल के नाम पर बड़ी धांधली चल रही है। फिर बात चाहे उनकी डाइट की हो अथवा कोविड वार्ड में उनके लिए तमाम जरूरी इंतजामात की। आलम यह है कि जिला अस्पताल में मरीजों की डाइट का मेन्यू अलग है तो प्राइवेट कॉलेजों में बनाये गए कोविड सेंटरों में भर्ती मरीजों को अलग भोजन मिल रहा है। वहीं जिले के अन्य सरकारी अस्पतालों में भी कोरोना मरीजों को अलग-अलग मेन्यू के मुताबिक भोजन दिया जा रहा है। खबर है कि कोविड मरीजों की डाइट के लिए अस्पतालों में 300 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से बजट दिया जा रहा है। इसके अलावा उन्हें वार्ड में भर्ती रखने से लेकर वहां उनके पलंग पर चादर, तकिया रोज बदलने के लिए भी लगभग 1200 रुपये प्रतिदिन दिए जाने की खबर है। लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल जुदा है। स्वास्थ्य विभाग के ही कुछ नुमाइंदों का कहना है कि प्रतिदिन एक मरीज पर खर्च करने के लिए मिल रहे 1500 रुपये में से लगभग एक हजार रुपये की गड़बड़ी की जा रही है। सोमवार की शाम तक भिण्ड जिले में कोविड मरीजों की संख्या लगभग सवा चार सौ के आसपास पहुंच गई है। यदि उपरोक्त जानकारी को सही मान लिया जाए तो प्रति मरीज एक हजार रुपये के हिसाब से रोज चार लाख रुपये का गणित बनता है। और अगर इस पर कोई पत्रकार अपनी कलम भी चलाना चाहे तो चंद ठेकेदार बने बैठे लोग जिम्मेदार व्यक्ति के लोकल का होने का हवाला देकर खबर न लिखने के लिए कहते है और भ्र्ष्टाचार को दबाने की कोशिश में रहते है। क्योंकि वह स्वयं ठेकेदार बने बैठे रहते है और उनकी दाल रोटी वहाँ से चल रही होती है। साथ ही यह कहना भी गलत नही होगा कि जिला अस्पताल में चेहरा देखकर इलाज और व्यवस्था की जा रही है।