Balendra mishra's Album: Wall Photos

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. #विनय_वल्लरी
पद क्रमांक 05

रे मन ! कर तू गुरु पद सनेह, जेहि ते ह्वै अकाम बनि विदेह।
पावहि शुचि सिया रमण प्रेम, भावहिं भरि बिसारि जगत नेम।
धी धारि आतम अनात्म ज्ञान, भ्रम भागि भूल भव भेद भान।
ज्ञान वैराज्ञ गुण गेह होइ, अह मम नहिं जामै बीज बोइ।

ध्यान मूल शुचि सद्गुरु स्वरूप,गुनि गुरु पद रज अर्चन अनूप।
मंत्र मूल श्री गुरुवर सुवाक, मोक्ष मूल अहिनिशि कृपहिं ताक।
तू नित्य निष्कपट भले भाव, आत्म अर्पि अर्चे अति उराव।
इष्ट जानि करै प्रतीति प्रीति, हर्षण होहि अभय जगत जीति।

भावार्थ:-हमारे आचार्य महा प्रभु स्वामी #श्री_रामहर्षण_दास_जी_महाराज अपने मन के माध्यम से हम जीवों पर अनुग्रह कर रहे हैं कि हे मेरे मन! तुम "श्री सद्गुरुदेव भगवान" के श्री चरण कमलों में प्रेम करो, जिससे सभी प्रकार की सांसारिक कामनाओं से रहित होकर शरीर से परे हो जाओगे, तुम सीता वल्लभ श्री राम जी महाराज के पवित्र प्रेम को प्राप्त कर लोगे तथा उनके भाव में भरकर सम्पूर्ण संसार के नियमों को भूल जाओगे। अपनी बुद्धि में आत्मा व अनात्मा (देह व देही ) का ज्ञान धारण कर लो अर्थात् आत्मा क्या है व शरीर क्या है इसे भली प्रकार से समझ लो जिससे तुम्हारे सभी प्रकार के संदेह दूर हो जायेंगे और संसार का भेद भान (भ्रम) तुम्हे भूल जायेगा। तुम ज्ञान, वैराज्ञ व गुणों के आगार हो जाओगे। उस समय तुम्हारे हदय में अहंकार व ममकार, के बीज बोने पर भी नहीं उग पायेंगे। श्री सदगुरु देव भगवान के परम पवित्र श्री विग्रह को ध्यान का मूल तथा उनके श्री चरण कमलों की धूल के पूजन को अनुपमेय पूजन समझो। श्री सदगुरु देव भगवान की वाणी को सभी मन्त्रों की मूल एवम् उनकी कृपा को मोक्ष की स्वरूपा जानकर दिनरात उनकी कृपा की राह देखते रहो। इस प्रकार तुम नित्य प्रति कपट रहित हो, सुन्दर भाव पूर्वक अत्यन्त आनन्द में पग कर, अपनी आत्मा का समर्पण करते हुए उनकी आराधना करते रहो तथा सद्गुरु देव भगवान को अपना इष्ट समझ, उनमें विश्वास व प्रेम कर सभी जीवों से निर्भय हो सम्पूर्ण संसार को जीत लो अर्थात् संसारासक्ति से मुक्त हो जाओ।

( लिपिकीय त्रुटियों के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ)