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"आओ - बात - करे"

*अवसाद से जंग*
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डिप्रेशन का हम सभी को अपने जीवनकाल में एक बार अनुभव जरूर होता है। _हम में से कुछ इसके साथ सामना करने में सक्षम हैं और कुछ इसके शिकार हैं।_ यह सबसे कठिन समस्याओं में से एक है, जो हमारे हाइपरकनेक्टेड समाज को प्रभावित कर रहा है।

*डिप्रेशन होता किसे हैं*

डिप्रेशन उस व्यक्ति को ही होता है जिसे खुद की सोची हुई उलझन से बाहर निकलने की राह मालूम नहीं हो या उस उलझन के बारे में वह ज्ञान रहित हो या जो उस उलझन से बाहर निकलने कि हिम्मत न कर पाया हो.

शारीरिक व्यायाम, योगासन, प्राणायाम और ध्यान आदि में से किसी भी एक को या सभी को व्यवहार में लाने पर डिप्रेशन में कमी आने लगती है.

इनमें से एक विधि *ध्यान* के बारे में जानना जरूरी हैं.

*ध्यान के प्रयोग -*

_डिप्रेशन से मुक्त होने के लिए अंदर दबी भावनाओं का रिलीज़ होना जरूरी है। आज व्यक्ति अपने अंदर बहुत कुछ दबाये बैठा है और सभ्यता के चलते व्यक्त न कर पाने के कारण डिप्रेशन का शिकार हो रहा है।_

इसके लिए *उसे अपने अंदर जो भी दबा पड़ा है जैसे हंसना, रोना, चीखना आदि उसे बाहर निकालना जरूरी है।तभी वो अपने को भार मुक्त करने में सफल हो पायेगा.*

_अभिनेता अक्षय कुमार ने एक इंटरव्यू में बताया कि वो अपना गुस्सा रिलीज़ करने के लिए पंचिंग बैग का इस्तेमाल करते हैं और सुबह समुद्र तट पर जाकर चीखते हैं। इस तरह उन्हें बहुत रिलैक्स फील होता है।_

आधुनिक मानव की इन समस्याओं और इनके समाधान के लिए ध्यान में डूब जाना भी एक कारगर विधि हैं।

*डिप्रेशन दूर करने में ध्यान बहुत सहायक होता हैं। ध्यान के समय शुरू में अनेक विचार जो हमारे अवचेतन मस्तिष्क में दबे पड़े होते हैं, अचानक उभरने लगते हैं। आने दीजिए उन्हें और आप केवल श्वास - प्रश्वास पर ध्यान केन्द्रित रखिये और जैसे भी भाव और विचार चित्त के धरातल पर प्रकट हो रहे हैं, उसके मात्र दृष्टा बन जाइये।*

धीरे - धीरे कुछ दिनों के पश्चात विचारों के बादल छट जाते हैं और आप एकाग्रचित होने लगते हैं।

*इससे चित्त के भीतर पड़ा कचरा हट जाने से आप शांतचित्त और तनावमुक्त हो जाते है और डिप्रेशन कम होता जाता हैं।*

आज की बात हफीज बनारसी के इस शेर से पूर्ण करते हैं:-

गुमशुदगी ही अस्ल में...
गुमशुदगी ही अस्ल में यारो राह-नुमाई करती है
राह दिखाने वाले पहले बरसों राह भटकते हैं.