पं रमेश पाण्डेय's Album: Wall Photos

Photo 1 of 21 in Wall Photos

जय श्री राम
कर्णेश्वरधाम धमतरी रायपुर

महानदी के तट पर स्थित इस मंदिर की कीर्ति धमतरी जिले के अलावा अन्य प्रदेशों तक है। मंदिर के पुजारी गोकुल ने बताया कि भगवान श्रीराम ने वनगमन के दौरान महानदी के किनारे-किनारे चलते हुए भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण के साथ इस स्थान पर विश्राम किया था। इस दौरान माता सीता ने पूजा-अर्चना के लिए यहां शिवलिंग की स्थापना की थी, जिसे अब रूद्रेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। राम वनगमन मार्ग का अध्ययन प्रदेश के इतिहासकारों की समिति ने भी इस क्षेत्र का जायजा लेने के बाद किया था।

माघ पूर्णिमा पर होता है विशाल उतत्सव ( मेला )
रुद्रेश्वर महादेव मंदिर राम वनगमन क्षेत्र होने की वजह से यहां की महत्ता बढ़ गई है। सावन मास में हर साल रुद्रेश्वर महादेव मंदिर में महीनेभर तक रामायण पाठ होता है। वहीं माघ पूर्णिमा पर हर साल मेला भरता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। शहर के कांवरिए भगवान रुद्रेश्वर को जल चढ़ाने के बाद ही अन्य शिवालयों में जल अर्पित करने जाते हैं। रुद्रेश्वर घाट पर गंगरेल बांध से महानदी उतरकर बहती है।

धमतरी. यह है वह शिवलिंग जिसकी स्थापना सीताजी ने कीथी।
नगरी|
कर्णेश्वर धाम स्थित शिव व रामजानकी मंदिर में प्रदेश भर के श्रद्धालु दर्शन और जल चढ़ाने के लिए आ रहे हैं। यह सोमवंशी राजाओं द्वारा 12वीं शताब्दी में बनाया गया मंदिर है। लोगों की इतनी श्रद्धा है कि रात में वे बरसते पानी में खुल आसमान के नीचे रहते हैं। कर्णेश्वर धाम पहुंच रहे कांवरियों में बडी संख्या महिलाओं की है।

देश विदेश से दर्शन करने आते हैं श्रद्धालु : उल्लेखनीय है कि कर्णेश्वरधाम स्थित शिव, राम-जानती मंदिर का विशेष पुरातात्विक महत्व है।इस मंदिर में लगे सोलह पंक्तियों की भित्ति शिलालेख से यह ज्ञात होता है इस मंदिर को शक संवत 1114 में कांकेर के सोमवंशी राजा कर्णराज ने अपने वंश की कीर्ति को अमर बनाने कर्णेश्वर देवहद में छह मंदिरों का निर्माण कराया था। आज इन मंदिरों की कीर्ति इतनी है की देश- विदेश से श्रद्धालुओं दर्शन हेतु यहां आते हैं। उड़ीसा के जगन्नाथपुरी से दर्शन हेतु आये कांवरिया रमेश गुंडिचा ने बताया कि इस मंदिर की ख्याति पूरे उड़ीसा में हैं क्योंकि सोमवंशी राजा जिन्होंने यह मंदिर बनवाया उनके पूर्वज जगन्नाथपुरी ओडिशा के मूल निवासी थे।