उसने बेटी के बाप का खेत बिकवा दिया स्पलेंडर दहेज में लेने के लिए। और आज तीस रूपये का तेल भरवाता है और ठेके तक जाता है । और फिर सरकार को कोसता है।
किसान चुप चाप मन मसोस कर जाता है और बढ़े हुए दाम पर डीजल भरवा लेता है,
किसी को कोसता नहीं है ।
बीस लाख की कार वालों को कोई फर्क नही पड़ता दो चार रूपये सस्ते मँहगे होने से।
बाकी अंधभक्त वो है जो हर बात को डिफेंड करना चाहता है, और चमचे वो हैं जो बस विरोध करने के लिए ही पैदा हुए हैं ।
कम शब्दों में कहा जाए तो हमारे मुल्क भारत ने तीन वर्षों में इतने रक्षा सौदे किए हैं जितने पिछले पचास वर्षों मे कुल रक्षा बजट था......
कोरोना पर सरकार ने चार लाख लोगों को वो ट्रीटमेंट दिया है जो अपने पास से कराने पर चमड़ी तक बिक जाती।
बाकी लोकतंत्र है विरोध भी जिंदाबाद।
बस खुशी इस बात की है की हमारी सरकार जो डीजल और पेट्रोल मंहगा कर पैसे हमसे चूस रही है वो किसी ठठेरा के महल बनाने में या किसी प्रधान मंत्री के लौंडे के जन्मदिन मनाने में खर्च नही हो रहें हैं ........
लद्दाख पर खड़े हर फौजी भाई के हाथ में Heckler and Koch दे दो उनके जैकेट विंटर प्रूफ हों और हेलमेट बुलेट प्रूफ हों, भीष्म टैंक को वहीं बने रहने दीजिए ।
कसम "गलवान घाटी" की हम सौ रूपया लीटर डीजल भरवा लेंगे और चूं तक नहीं करेंगे ।
***
जब इश्क हो हाफिज़ की बेटी से
तब मुजाहिदों से क्या खाक़ डरना ।।