जिनके पूर्वज 800 सालों में हमारे मंदिर नहीं तोड़ पाये वो हमारा हौसला कैसे तोड़ पाएंगे
इस मंदिर के निर्माण के लिए 2,828 टन बल्गेरियाई चूना पत्थर और 2,000 टन इतालवी संगमरमर भारत भेजा गया था जिसे 1526 भारतीय शिल्पकारों ने अपने कौशल से खूबसूरत नक्काशियों में तब्दील कर दिया । आज यह भारत से बाहर सबसे बड़े मंदिरों में से एक है ।