Dr. Umesh Shukla's Album: Wall Photos

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जरत सकल सुर बृंद
बिषम गरल जेहिं पान किय।
तेहि न भजसि मन मंद
को कृपाल संकर सरिस॥

____जिस भीषण हलाहल विष से सब देवतागण जल रहे थे उसको जिन्होंने स्वयं पान कर लिया, रे मन्द मन! तू उन शंकर जी को क्यों नहीं भजता? उनके समान कृपालु (और) कौन है?