संजयराज राजपुरोहित 's Album: Wall Photos

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G-7 ग्रुप ,डोनाल्ड ट्रम्प ने भारतीय प्रधानमंत्री को क्यों न्योता दिया , क्या भारत को G-7 में शामिल होना चाहिए , रूस की G-7 में वापसी को लेके कुछ देशो में नाराजगी क्यों चल रही है :-

- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने G-7 में भारत के साथ-साथ Russia, Australia और South Korea को न्योता दिया है जिससे चीन परेशान हो गया है।

- चीन के Foreign Secretary Spokesperson Jhao Lijhian ने कहा है कि चीन के खिलाफ कोई गुटबंदी नहीं चलेगी।

- विस्तार से जानते है पूरा मुद्दा :-

1. क्या है G-7 :-

- दरअसल 1970 के आस पास अरब देशो ने नीदरलैंड , ब्रिटेन , अमेरिका इत्यादि देशो को तेल बेचना बन्द करने के लिए संघ बनाया क्योंकि यह देश इजराइल को समर्थन दे रहे थे , और इसी के चलते कच्चे तेल का संकट उतपन्न हो गया , और अमेरिका , कनाडा इत्यादि देशो में इसी से निपटने के लिए एक बैठक बुलाई ।

- 1975 में 6 देशो ने एक बैठक बुलाई जिसमे फ्रांस , वेस्ट जर्मनी (जर्मनी का एकीकरण तब हुआ नही था) , इटली , जापान , U.K और U.S.A . और तब इन्होंने G-6 समूह का गठन किया ।

- बादमे 1976 में कनाडा भी इस समूह से जुड़ गया और यह हो गया G-7 समूह ।

- बादमे 1998 में रूस को भी इस समूह में शामिल किया गया था और यह G-8 समूह हो गया था , हालांकि 2014 में रूस को इससे निकाल दिया गया था क्योंकि रूस ने 2014 में यूक्रेन से क्रीमिया प्रायद्वीप को गैर-कानूनी तरीके से अपने कब्जे में कर लिया था और यह समूह G-8 से वापस G-7 हो गया था ।

2. G-7 कैसे काम करता है , और इसका महत्व :-

- जी-7 दुनिया की सात सबसे बड़ी कथित विकसित और उन्नत अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है, जिसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमरीका शामिल हैं. इसे ग्रुप ऑफ़ सेवन भी कहते हैं.

- समूह खुद को "कम्यूनिटी ऑफ़ वैल्यूज" यानी मूल्यों का आदर करने वाला समुदाय मानता है. स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की सुरक्षा, लोकतंत्र और क़ानून का शासन और समृद्धि और सतत विकास, इसके प्रमुख सिद्धांत हैं.

3. चीन इस समूह का हिस्सा क्यों नहीं है? :-

- चीन दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवथा है, फिर भी वो इस समूह का हिस्सा नहीं है. इसकी वजह यह है कि यहां दुनिया की सबसे बड़ी आबादी रहती हैं और प्रति व्यक्ति आय संपत्ति जी-7 समूह देशों के मुक़ाबले बहुत कम है.

- सबसे बड़ा कारण यह भी है के चीन की विचारधारा और पश्चिमि देशो की विचारधारा का टकराव होना , दोनो विपरीत है एक दूसरे के और चीन भी अमेरिका को सुपरपॉवर से हटाना चाहता है , इसी लिए चीन को इसका सदस्य नही बनाया जाता है ।

- ऐसे में चीन को उन्नत या विकसित अर्थव्यवस्था नहीं माना जाता है, जिसकी वजह से यह समूह में शामिल नहीं है. हालांकि चीन जी-20 देशों के समूह का हिस्सा है, इस समूह में शामिल होकर वह अपने यहां शंघाई जैसे आधुनिकतम शहरों की संख्या बढ़ाने पर काम कर रहा है.

- NOTE :- G-7 वैश्विक शुद्ध संपत्ति ($280 ट्रिलियन) का 62% से अधिक का प्रतिनिधित्व करते हैं ,और वर्ष में एक बार लगभग यह समूह अपनी बैठक करता है और अभी 2020 में 46वी बैठक होने वाली है 10 से 12 जून को कैम्प डेविड ,अमेरिका में , और इसी में डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत , रूस , ऑस्ट्रेलिया , साउथ कोरिया को शामिल होने का न्योता दिया है . लेकिन अब इस बैठक को स्थगित कर दिया गया है और सितम्बर 2020 में बैठक बुलाई जाएगी ।

- मतलब की डोनाल्ड ट्रम्प चाह रहे है के G-7 को बढाके G-10 या G-11करे ।

4. ट्रम्प क्यों न्यौता दे रहे है इन देशो या भारत को :-

- G-7 समूह में नए देश को जोड़ने के लिए सभी सात देशो की सहमति जरूरी है ।

- इस समुह का प्रभाव हालांकि पिछले कुछ समय से काफी कम हो गया है , और अब ट्रम्प चाहते है के और दुनिया के शक्तिशाली या विकाशील देश इसमे जोड़े जाए नए ताकि समूह का राजनैतिक और भौगोलिक दायरा बढ़े ।

- इसका एक और यह कारण भी है के अमेरिका चीन के तनाव के चलते अमेरिका अब भारत ,ऑस्ट्रेलिया इत्यादि को अपने साथ मिलाके इस समूह को चीन के विरुद्ध और मजबूत करने के बारे में सोच रहा है ।

- इसके अलावा भारत को इस समूह में जोड़के अमेरिका "इंडो-पैसिफिक" क्षेत्र में अपने कदम और अच्छे से जमाना चाहता है , ताकि भारत के साथ मिलके चीन को भली-भांति काउंटर कर सके ।

5. भारत को G-7 से जुड़ने में क्या फायदे होंगे :-

- अगर भारत G-7 का सदस्य बनता है तो यह भारत के लिए सुनहरा मौका है , भारत को आर्थिक , राजनैतिक रूप से बहुत फाएदे होंगे , और भारत का वर्चस्व दुनिया मे एक शक्तिशाली देश के रूप में निखरेगा ।

- संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद के बाद इस G-7 समूह को विश्व मे काफी प्रभावशाली माना जाता है , इससे हम समझ सकते है के भारत इससे जुड़ता है तो भारत को इससे बहुत व्यापारिक रूप से भी लाभ मिलेंगे

- इन सभी देशो का बाजार भारत के निर्यात के लिए और खुल जायेगा , अमेरिका द्वारा लगाए गए भारत पे कुछ प्रतिबंधों से भी भारत मुक्त हो जाएगा ।

- इसके अलावा भारत का इस समूह में जुड़ना चीन पे भी दबाव बना सकता है , भारत को चीन से मुकाबले के लिए इन शक्तिशाली देशो का समर्थन भी मिलता रहेगा समय समय पर ।

- 2019 में मोदी जी जे Biarritz ,फ्रांस में G-7 की बैठक में हिस्सा लिया था , आशा है के 2021 या 2022 तक भारत G-7 का सदस्य बन जायेगा ।

6. रूस को इस समूह में जोड़ने के खिलाफ क्यों है कुछ देश :-

- यूरोप के देश जो G-7 के सदस्य है वह रूस से नाराज है क्योंकि 2014 में यूक्रेन से जबरदस्ती क्रीमिया को कब्जे में कर लिया था रूस ने ।

- यूरोपियन देशो का कहना का के रूस ने पिछले कई वर्षों में बहुत बार रूस ने इन देशो के सांसद में साइबर अटैक किये है और इनकी खुफिया जानकारियां बाहर निकाली है।

- इसके अलावा रूस के विभिन्न जासूस रूस ने इन देशो में छोड़ रखे है ,इसके लिए भी यूरोप समेत कनाडा भी रूस से नाराज है । इसलिए यह देश नही चाहते के रूस G-7 का भाग बने ।

- रूस अगर इसका सदस्य बनता तो रूस को बहुत फाएदे थे जिसमें से रूस पे अमेरिका , यूरोपीय देशो ने जो प्रतिबन्द लगा रखे थे वह खत्म हो जाते , और रूस को इन देशो के बाजार में प्रवेश मिल जाता , लेकिन रूस इसका सदस्य नही बन पाएगा अभी की नाराजगी को देखते हुए ।

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