- भारतीय रेलवे (IR) भारत की राष्ट्रीय रेलवे प्रणाली है जो रेल मंत्रालय द्वारा संचालित है.
- भारतीय रेलवे को केंद्र सरकार, सार्वजानिक कल्याण को बढ़ाने के लिए चलाती है ना कि लाभ कमाने के उद्येश्य के रूप में.
- भारतीय रेलवे, मार्च 2019 तक 67,415 किमी के मार्ग की लंबाई के साथ आकार में दुनिया के चौथे सबसे बड़े रेलवे नेटवर्क का प्रबंधन करता है.
- सरकार के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय रेलवे को अगले 12 वर्षों के लिए 50 लाख करोड़ रुपये की जरूरत होगी. जबकि सरकार के पास इतना रूपया केवल इस सेक्टर पर खर्च करने के लिए नहीं है.
- विस्तार से :-
1. भारतीय रेलवे का इतिहास (संक्षिप्त में ) :-
- भारत में रेल का चलना अंग्रेजों की देन है और भारत की पहली मालगाडी रेल 1832 में मद्रास में चलाई गई थी ।
- हालांकि भारत की पहली यात्री रेल 16 अप्रैल 1853 को चलाई गई थी जो कि 34 किलोमीटर लम्बा सफर था , बोरी बुंदेर (मुम्बई) से ठाणे के बीच मे चलाई गई थी ।
- 1924 के बाद से भारत सरकार का बजट अलग से आता था , और पूरे रेलवे का बजट अलग से होता था , लेकिन 2016 के बाद से रेलवे बजट और सामान्य बजट दोनो को एक साथ कर लिए गया ।
- अब तक रेलवे पूरी तरह सरकार के अधीन है , लेकिन अब सरकार इसमें कुछ निजी क्षेत्र को भी शामिल करने का सोच रही है ।
NOTE :- वर्तमान भारतीय रेल मंत्री - पीयूष गोयल
2. रेलवे का निजीकरण किस प्रकार होगा? :-
- वर्तमान में देश में 13 हजार ट्रेनें चल रहीं हैं और डिमांड और सप्लाई के बीच समानता लाने करने के लिए 7 हजार ट्रेनें और चलायीं जायेंगीं.
- वर्तमान में इस ट्रेनों का रेगुलेशन और मैनेजमेंट इंडियन रेलवे ही करता है लेकिन अब मैनेजमेंट का काम प्राइवेट प्लेयर्स के हाथ में चला जायेगा.
- इसी दिशा में कदम उठाते हुए भारत सरकार ने इंडियन रेलवे के निजीकरण की दिशा में कदम उठाते हुए 109 रुट्स पर 151 यात्री ट्रेनें चलाने के लिए प्राइवेट पार्टीज को इनविटेशन दिया है.
- इन रूट्स पर चलने वाली ट्रेनें कम से कम 16 कोच की होंगी और इनकी अधिकतम रफ्तार 160 किलो मीटर/ घंटा होगी.
- इंडियन रेलवे ने कहा है कि वह 35 साल के लिए ये परियोजनाएं निजी कंपनियों को देगा. हालाँकि इन सभी ट्रेनों में ड्राइवर और गार्ड भारतीय रेलवे के होंगे.
- निजी प्लेयर्स, भारतीय रेलवे को ट्रांसपेरेंट राजस्व प्रक्रिया के माध्यम से निर्धारित सकल राजस्व में हिस्सेदारी का भुगतान निर्धारित ढुलाई शुल्क, वास्तविक खपत के अनुसार ऊर्जा शुल्क का भुगतान करेंगे.
- इस निजीकरण के पीछे भारतीय रेलवे का उद्देश्य रेलवे को लेट-लतीफी से छुटकारा दिलाना, यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाना,यात्रियों को विश्व स्तरीय यात्रा का अनुभव प्रदान करना और सभी यात्रियों को कन्फर्म टिकट उपलब्ध कराना है.
3. रेलवे के निजीकरण से लाभ और नुकसान :-
A. सरकार का तर्क है कि निजी भागीदारी के तहत बनने वाली सभी ट्रेनें ‘मेक इन इंडिया’ प्रोजेक्ट के तहत बनेंगी जिससे रोजगार पैदा होगा जो कि एक बहुत छोटा तर्क है क्योंकि ट्रेनें बिना निजी सेक्टर को दिए बिना भी ‘मेक इन इंडिया’ प्रोजेक्ट के तहत बन सकतीं हैं.
B. ट्रेनों का रखरखाव, निजी क्षेत्र द्वारा किया जायेगा जिससे उनमें साफ सफाई रहेगी.
C. निजी क्षेत्र में जाने से ट्रेनें समय पर पहुंचेगीं. क्योंकि ट्रेनों की तकनीकी खराबियां , कई बार पटरियों को रिपेयर करना इत्यादि का जो सरकारी रास्ता है वह लम्बा पड़ जाता है और आम रेलवे के कर्मचारियों को ऊपर तक से परमिशन मिलने में देरी भी लग जाती है , लेकिन प्राइवेट कम्पनिया इस कमी को दूर कर सकती है और बेहतर सुविधा दे सकती है।
D. यात्रियों को बेहतर सुरक्षा मिल सकेगी क्योंकि निजी प्लेयर ज्यादा पैसा खर्च करके नयी तकनीकी लायेंगे. इस तर्क में थोडा दम है क्योंकि सरकार का फिस्कल डेफिसिट बढ़ता जा रहा है और सरकार के पास और अधिक धन नहीं है.
E. टिकटों के बीच डिमांड और सप्लाई के बीच के अंतर को ख़त्म करने में मदद मिलेगी. क्योंकि ट्रेनों की संख्या में बढ़ोत्तरी होगी.
F. इन ट्रेनों को इस तरह से बनाया जायेगा ताकि इनकी मैक्सिमम स्पीड 160 किमी रखी जा सके.इससे लोगों के समय की बचत होगी.
G. रेलवे के निजीकरण से सबसे बड़ा नुकसान यह है कि इससे बड़ी संख्या में सरकारी नौकरियां ख़त्म होंगीं क्योंकि निजी प्लेयर्स कम लोगों से ज्यादा काम करवाकर लाभ अधिकतम करना पसंद करेंगे ,हालांकि इसका एक यह भी फाएदा है के जो व्यक्ति मेहनती है और ईमानदारी से अपना कार्य करता है उसको इस क्षेत्र में नौकरी के बहुत अवसर मिलेंगे ।
H. इस बात की भी संभावना है कि प्राइवेट ट्रेनों को क्लियर सिग्नल दिया जाये जिससे वो ट्रेनें समय पर पहुंचेंगी और सरकारी ट्रेनें स्टेशन के बाहर खड़ी होकर सिग्नल का इंतजार ही करतीं रहेंगीं.
I. निजीकरण का सबसे भयंकर प्रभाव रेलवे के किरायों को बढ़ोत्तरी का होगा, जिसे गरीब और मध्यम वर्ग बर्दाश्त नहीं कर पायेगा.
- निष्कर्ष के तौर पर ऐसा कहा जा सकता है कि रेलवे का निजीकरण ठीक वैसा ही परिणाम लायेगा जैसा कि सरकारी और निजी स्कूलों के बीच है.सरकारी स्कूलों में पढाई होती नहीं है और निजी स्कूलों की फीस इतना ज्यादा है कि हर कोई नहीं दे सकता है.