मनुष्य स्वभाव से ही प्रकृति प्रेमी है, आसमान में बादल, पपीहे की पुकार और बारिश की फुहार से खुश होकर लोग सावन मास की शुक्ल तृतीया (तीज) को हरियाली तीज का लोकपर्व मनाते हैं।
- इस बार यह पर्व 23 जुलाई दिन गुरुवार को है, पूरे उत्तर-भारत में तीज पर्व बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है।
- इस त्योहार को श्रावणी तीज और हरियाली तीज के नाम से भी जाना जाता है।
- इस पर्व में सुहागन महिलाएं पूरा श्रृंगार करती हैं और देवी पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं।
1. क्यों मनाई जाती है हरियाली तीज :-
- मान्यता है कि भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने 107 जन्म लिए थे।
- मां पार्वती के कठोर तप और उनके 108वें जन्म में भगवान शिव ने देवी पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। तभी से इस व्रत की शुरुआत हुई।
- इस दिन जो सुहागन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करती हैं, उनका सुहाग लंबे समय तक बना रहता है।
2. राजस्थान में तीज का त्योहार :-
- राजस्थान में तीज पर्व ऋतु उत्सव के रूप में मनाया जाता है। सावन में हरियाली और मेघ घटाओं को देखकर लोग यह पर्व मिलजुलकर मनाते हैं।
- आसमान में काली घटाओं के कारण इस पर्व को कजली तीज और हरियाली के कारण हरियाली तीज के नाम से पुकारते हैं।
- इस तीज-त्योहार पर राजस्थान में झूले लगते हैं और नदियों के तटों पर मेलों का आयोजन होता है।
- इस त्योहार के आस-पास खेतों में खरीफ फसलों की बुआई भी शुरू हो जाती है। मोठ, बाजरा, फली आदि की बुआई के लिए कृषक तीज पर्व पर बारिश की कामना करते हैं।
3. वृंदावन की तीज :-
- श्रावण मास में बृज के झूले बहुत विख्यात हैं। श्री वल्लभ सम्प्रदाय में ठाकुरजी पूरे सावन मास झूला झूलते हैं।
- अन्य मंदिरों में सावन शुक्ल तृतीया-हरियाली तीज से रक्षाबंधन-पूर्णिमा तक हिंडोले सजाए जाते हैं।
- वृंदावन में श्री बांके बिहारी तीज की रात को ही सोने-चांदी के गंगा-जमुनी विशाल हिंडोले में झुलाए जाते हैं।
- -मथुरा में द्वारकाधीश की घटाएं सुप्रसिद्ध हैं। किसी दिन गुलाबी, हरी तो किसी दिन काली घटा। जैसी घटा होती है सारे पर्दे, हिंडोले, ठाकुरजी के वस्त्रालंकार सभी उसी रंग के होते हैं। इनमें काली घटा की प्रसिद्धि बहुत अधिक है।