SIDDHARTHA SHUKLA's Album: Wall Photos

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#क्रूरता की सीमाओं को कैसे पार किया जाता है, ये देश के सबसे शिक्षित राज्य ने एक बार फिर से साबित किया। सच है, पूरे राज्य को कुछ लोगों की करतूतों के लिए दोष नहीं दिया जा सकता लेकिन जो लोग बार-बार 'सबसे शिक्षित राज्य' कह कर बाकियों को नीचा दिखाते हैं, ये सवाल उनसे है वरना केरल तो हमारे इष्ट परशुराम की भूमि है। एक निरीह प्राणी 3 दिनों तक भूख-प्यास से तड़पता रहा, उनके मुँह में असह्य पीड़ा हो रही थी, जीभ पर छाले पड़े हुए थे, शरीर में ऑक्सीजन नहीं जा रहा था और फेंफड़े जवाब दे रहे थे और वायु-नली जाम हो रही थी।

इस बार #हांथी को किसी #मगरमच्छ ने नहीं पकड़ा था कि भगवान आकर बचा लेते और चक्र से मगर को काट डालते। इस बार इंसानों ने ही एक निर्दोष प्राणी का ऐसा हाल कर दिया कि व्यथित भगवान ने भी शायद आँखें बन्द कर ली होंगी कुछ देर। केरल का मलप्पुरम। 70% #मुस्लिम आबादी। वहीं एक नदी में खड़े-खड़े उस मादा हाथी ने अपने प्राण त्याग दिए। गर्भवती थी, 20 महीने में एक बच्चा होता। उसे अपने मरने का गम न रहा होगा, उसे अपने पेट में पल रहे बच्चे को न बचा पाने का दुःख रहा होगा। इंसानों ने तो उसे अनानास खाने को दिया था, बड़े प्यार से।

उसे क्या पता था कि जिस फल को वो #मनुष्यों का प्यार समझ कर खा रही है, उसके भीतर विस्फोटक भरे पड़े हैं जो उसके मुँह में ही फट जाऍंगे। छले जाने के बावजूद लेकिन फिर भी उस हथिनी ने मानवों को नुकसान नहीं पहुँचाया। गाँव में दौड़ती-भागती रही दर्द से लेकिन क्या मजाल कि किसी संपत्ति को नुकसान पहुँचाया हो या फिर किसी पर हमला बोला लो। जंगल के अधिकारी भी हतप्रभ हैं, रो रहे हैं। 250 हाथियों का पोस्टमॉर्टम कर चुके डॉक्टर ने भी जब उस भ्रूण को अपने हाथों में उठाया- उसने कहा कि ये ये क्रूरता की चरम सीमा है।

#हमारे यहाँ तो प्राचीन काल से ही महाभारत से लेकर सभी ग्रंथों में भ्रूणहत्या को सबसे बड़ा महापाप बताया गया है। यहाँ तो एक निर्दोष प्राणी के साथ-साथ उसके अजन्मे बच्चे को भी मार डाला गया। जिस राज्य को 'God's Own Country' कहते हैं, वहाँ ऐसी हरकत? अरे, हाथी तो शुद्ध शाकाहारी जीव है। वो तो इंसान क्या, चींटी तक को नहीं खाता। ये कैसा बेहूदा लॉजिक है कि उसने बगीचे या खेत की 2-4 पत्तियाँ बर्बाद कर दी तो उसे मार डालोगे? फिलहाल उसे वहीं दफना दिया गया है, जहाँ वो हँसते-खेलते बड़ी हुई थी। जहाँ उसने 15 साल बिताए थे।

#शायद इसीलिए हिन्दू धर्म में हर देवी-देवताओं के वाहन के रूप में किसी न किसी पशु-पक्षी को दिखाया गया है। जिस उल्लू को हर जगह मनहूस मानते हैं, वो भी हमारे अनाज की बेढी में आकर बैठ जाए तो भगाते नहीं हैं क्योंकि वो लक्ष्मी का वाहन है। हाथी को तो साक्षात गणेश जी का रूप और इंद्र की सवारी माना गया है। भैंस को धर्मराज का वाहन बताया गया है। इसी तरह शिव का बसहा, कार्तिकेय का मोर, गणेश का मूषक, विष्णु का गरुड़, ब्रह्मा का हंस और माँ दुर्गा का शेर- ये सभी पशुओं और देवी-देवताओं की जोड़ियाँ हैं। अब सोचिए, हमारे मनीषियों ने इसे ऐसे क्यों जोड़ा?

#केरल में जो दिल दहला देने वाली घटना हुई है, उसमें अभी तक किसी को नहीं पकड़ा गया है। सबसे शिक्षित राज्य है, कम्युनिस्ट सरकार है और ISIS के लोग सबसे ज्यादा यहीं से जाते हैं- इसीलिए समय लगेगा। या फिर दोषी बच कर निकल भी जाएँ क्योंकि वो जिला ही उनका है। जैसा कि फॉरेस्ट ऑफिसर मोहन कृष्णन ने कहा है- 'स्वार्थी मानव जाति की तरफ से तुमसे माफ़ी माँगता हूँ बहन!'
#ॐ_शांति!⚘